Sandhyageet

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Author: Mahadevi Verma

Availability: 5 in stock

Pages: 79

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9788180313035

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

सांध्यगीतमें नीरजा के समान ही कुछ स्फुट गीत संग्रहीत हैं। सांध्यगीत मेरी उस मानसिक स्थिति को व्यक्त कर सकेगा जिसमें अनायास ही मेरा हृदय सुख-दुख में सामंजस्य का अनुभव करने लगा। मेरे गीत मेरा आत्मनिवेदन मात्र हैं – उनके विषय में कुछ कह सकना मेरे लिए सम्भव नहीं। इन्हें मैं अपने उपहार के योग्य अकिंचन भेंट के अतिरिक्त और कुछ नहीं मानती।

अनुक्रम

 

1 अपने विषय में 9
2 प्रिय साध्य गगन 17
3 प्रिय मेरे गीले नयन 19
4 क्या न तुमने दीप बाला 20
5 रागभीनी तू सजनि 22
6 अश्रु मेरे माँगने जब 24
7 क्यों वह प्रिय आता पार नहीं 26
8 जाने किस जीवन की सुधि ले 28
9 शून्य मंदिर में बनूँगी 29
10 प्रिय-पथ के यह शूल 30
11 मेरा सजल मुख देख लेते 31
12 रे पपीहे पी कहाँ 33
13 विरह की घड़ियाँ हुईं 34
14 शलभ मैं शापमय वर हूँ 35
15 पंकज कली 37
16 हे मेरे चिर सुन्दर अपने 38
17 मैं सजग चिर साधना ले 39
18 मैं किसी की मूक छाया 40
19 यह सुख दुखमय राग 42
20 सो रहा है विश्व 43
21 री कुंज की शेफालिके 44
22 मैं नीरभरी दुख की बदली 45
23 आज मेरे नयन के 46
24 प्राण रमा पतझार सजनि 48
25 झिलमिलाती रात मेरी 49
26 दीप तेरा दामिनी 50
27 फिर विकल हैं प्राण मेरे 51
28 मेरी है पहेली बात 52
29 चिर सजग आँखें उनींदी 53
30 कीर का प्रिय आज 55
31 प्रिय चिरन्तन है सजनि 57
32 ओं अरुण वसना 59
33 देव अब वरदान कैसा 60
34 तन्द्रिल निशीथ में ले आये 61
35 यह सन्ध्या फूली सजील 63
36 जाग-जाग सुकेशिनी री 65
37 तब क्षण-क्षण मधु-प्याले होंगे 67
38 आज सुनहली वेला 68
39 नव घन आज बनो पलकों में 69
40 क्या जलने की रीति शलभ 70
41 सपनों की रज आँज गया 71
42 क्यों मुझे प्रिय हों न  बंधन 72
43 हे चिर् महान् 74
44 सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी 76
45 कोकिल गा न ऐसा राग 78
46 तिमिर में वे पदचिह्न मिले 80

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Paperback

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Publishing Year

2021

Pulisher

Language

Hindi

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