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Description
हिमालय
संसार के किसी पर्वत की जीवन-कथा इतनी रहस्यमयी न होगी जितनी हिमालय की है। उसकी हर चोटी, हर घटी हमारे धर, दर्शन, काव्य से ही नहीं, हमारे जीवन के सम्पूर्ण निश्रेयम से जुडी हुई है। संसार के कसीस अन्य पर्वत की मानव की संस्कृति, काव्य, दर्शन, धर्म आदि के निर्माण में ऐसा महत्त्व नहीं मिला है, जैसा हमारे हिमालय को प्राप्त है। वह मनो भारत की संशिलष्ट विशेषताओं का ऐसा अखंड विग्रह है, जिस पर काल कोई खरोच नहीं लगा सका। वस्तुतः हिमालय भारतीय संस्कृति के हर नए चरण का पुरातन साथी रहा है। भारतीय जीवन उसकी उजली छाया में पलकर सुन्दर हुआ ये, उसकी शुभ्र ऊंचाई छूने के लिए उन्नत बना है और उसके ह्रदय से प्रवाहित नदियों में घुलकर निखरा है।
हमारे राष्ट्र के उन्नत शुभ्र मस्तक हिमालय पर जब संघर्ष की नील-लोहित आग्नेय घटायें छा गयीं, तब देश के चेतनाकेन्द्र ने आसन्न संकट की तीव्रानुभूति देश के कोने-कोने में पहुंचा दी। धरती की आत्मा के शिल्पी होने के कारण साहित्यकारों और चिंतकों पर विशेष दायित्व आ जाना स्वाभाविक ही था। इतिहास ने अनेक बार प्रमाणित किया है कि जो मानव समूह अपनी धरती से जिस सीमा तक तादात्म्य कर सका है, वह उसी सीमा तक अपनी धरती पर अपराजेय रहा है। आधुनिक युग के साहित्यकार को भी अपने रागात्मक उत्तराधिकार का बोध था। इसी से हिमालय के आसन्न संकट ने उसकी लेखनी को, ओज के शंख और आस्था की वंशी के स्वर दे दिये हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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