Dhoop Ghari

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Dhoop Ghari

Dhoop Ghari

350.00 280.00

In stock

350.00 280.00

Author: Rajesh Joshi

Availability: 5 in stock

Pages: 191

Year: 2002

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126704064

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

धूप घड़ी

कविता जादू है। जो जैसा है उसे तुरत-फुरत पलक झपकते बदल डालने का जादू है कविता। राजेश जोशी ने यह बात अपने पहले कविता-संग्रह में कही थी। इसी कविता के जादू को समझने के लिए उन्होंने कहा कि एक कबूतर खाली टोकरी से निकलेगा और फिर लम्बी-लम्बी उड़ान भरेगा। यह उड़ान ही कविता के जादू की परिणति है। इसी समझ के कारण राजेश जोशी की कविताओं में यथार्थ और फेंटेसी का अन्तर्गठन संभव हुआ। अपने समय के विरुद्ध तात्कालिक प्रतिक्रिया व्यक्त करते वक्त वे कभी भी अच्छे जीवन का सपना देखना नहीं भूलते। विश्व-हिंसा और दिन-रात फैलते प्रदूषण के खिलाफ राजेश जोशी ने बहुत समर्थ कविताएँ लिखी हैं।

इसका एक कारण तो यह है कि भोपाल की त्रासदी उन्होंने बहुत निकट से देखी और झेली है। दूसरा यह कि उनके अन्तरंग संवेदनों की दुनिया को इससे जबर्दस्त आघात पहुँचा है। उन्होंने मनुष्य की महानतम उपलब्धियों की क्षणभंगुरता और आत्मघाती दर्प की भयावह सच्चाई को पहचान लिया। अपने परिवेश के प्रति अगाध प्रेम और सम्बद्धता शायद ही इधर प्रकाशित दूसरे कवियों की कविताओं में मिले।

खास बात यह है कि राजेश जोशी अपने अनुभव को कविता में सिरजते वक्त शोकगीत की लयात्मकता नहीं छोड़ते। लय उनकी कविताओं में अत्यन्त सहज भाव से आती है, जैसे कोई कुशल सरोदवादक धीमी गति में आलाप द्वारा भोपाल राग का विस्तार कर रहा हो। इस दृष्टि से राजेश जोशी के शिल्प को एक सांगीतिक संरचना कहा जा सकता है। वे स्थानीयता के रंग में डूबकर भी कविता के सार्वजनिक प्रयोजनों को रेखांकित करते हैं। राजेश जोशी की कविताओं में कहीं भी पराजित होकर दूर खड़े रहने का भाव नहीं है। वे अपने परिवेश और लोगों से गहरे जुड़े हैं और उन्हीं से अपनी कविताओं के लिए ऊर्जा और आस्वाद ग्रहण करते हैं। वे फेंटेसी का इस्तेमाल भयावह पटकथा के रूप में नहीं करते। वे तो इसे अपने मन की सहज, सरल भावाकुलता में गूँथकर यथार्थ के बरअक्स तीखे विपर्यय के रूप में रखते हैं ताकि यथार्थ का चेहरा अधिक नुकीला और वास्तविक दिखाई दे।

– ऋतुराज की एक टिप्पणी से कुछ पंक्तियाँ

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2002

Pulisher

Language

Hindi

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