Ishq Ek Shahar Ka

-17%

Ishq Ek Shahar Ka

Ishq Ek Shahar Ka

695.00 575.00

In stock

695.00 575.00

Author: Narendra Kohli

Availability: 10 in stock

Pages: 348

Year: 2015

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170555865

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

इश्क एक शहर का

रंगशाला में पूर्ण अन्धकार हो जाता है।

रंगशाला के पृष्ठ द्वार के पास प्रकाश उभरता है और मंच की ओर खिसकने लगता है। उस प्रकाश में घिरा हुआ एक ब्राह्मण जो जन्म, कर्म, आचार-विचार, आस्था और पहनने-ओढ़ने से पूरी तरह ब्राह्मण लगता है, आगे बढ़ रहा है। उसकी बाँहों में एक बड़ा बंडल है, जो पूरी तरह से एक सफेद कपड़े में लिपटा हुआ है।

उसके आस-पास से अनेक लोग पैदल तथा विभिन्‍न वाहनों पर जाने का अभिनय करते हुए निकल रहे हैं, जैसे किसी व्यस्त खुली सड़क पर यातायात आ-जा रहा हो। सब लोग उस ब्राह्मण को देखते अवश्य हैं, किन्तु उससे कहते कुछ नहीं। उससे बचकर, कतराकर निकल जाते हैं।

ब्राह्मण भी बिना किसी को पहचाने आगे बढ़ता जा रहा है। ब्राह्मण का चेहरा एकदम भावशून्य है-पत्थर के समान सपाट। वैसा सपाट, जैसा जबड़ों को भींच लेने से एक आम चेहरा हो जाता है। उसकी आँखें शून्य में घूर रही हैं। उसके लिए जैसे सब कुछ पारदर्शी हो गया है।

प्रकाश मंच के पास पहुँचता है, तो वहाँ चौराहे का दृश्य है। लकड़ी के एक ऊँचे स्टैंड पर एक ट्रैफिक कांस्टेबल खड़ा ट्रैफिक-संचालन कर रहा है। उसके साथ ही कुछ हटकर, बाँह पर तीन फीते चिपकाये, एक हेडकांस्टेबल खड़ा है, जो समय-असमय कांस्टेबल की कुछ सहायता कर देता है। उन दोनों की नजरें आगे बढ़ते आते ब्राह्मण कर पड़ती हैं।

कांस्टेबल ब्राह्मण की दिशा में चलनेवाले यातायात को रोककर, दूसरी दिशा को चलने का संकेत देता है।

ब्राह्मण अपनी आँखें शून्य में गड़ाये, जड़ बनाये, बिना रुके आगे बढ़ता जाता है। विपरीत दिशा से तेजी से आती हुई कार में आने का अभिनय करता हुआ एक व्यक्ति, उसे लगभग झटककर आगे बढ़ जाता है। ब्राह्मण उसकी झपट में आते-आते बच जाता है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2015

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Ishq Ek Shahar Ka”

You've just added this product to the cart: