Ayodhya Prasad Goyaliya
अयोध्याप्रसाद गोयलीय
उर्दू साहित्य के गम्भीर अध्येता विद्वान।
जन्म : दिसम्बर 1902 में बादशाहपुर, गुड़गाँव, हरियाणा में। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा कोसी-कलाँ मथुरा में। तत्पश्चात् चौरासी-मथुरा में उच्च शिक्षा के दौरान न्याय, व्याकरण और काव्य का अध्ययन। 1919 में रौलट-ऐक्ट-आन्दोलन से प्रभावित और विद्यालय-परित्याग। 1920 से 1940 तक दिल्ली में निवास और व्यापार, उसी अवधि में उर्दू-साहित्य और इतिहास का गम्भीर अध्ययन। 1930 के नमक सत्याग्रह में भागीदारी के लिए सवा दो वर्ष का ‘सी क्लास’ कारावास। 1941 से 1968 तक डालमिया नगर में साहू जैन समवाय के श्रम-कल्याण-अधिकारी रहते हुए उर्दू-शायरी को हिन्दी में लाने के लिए सतत सक्रिया रहे।
कृतिया – शेर-ओ-शायरी, शेर-ओ-सुख़न (5 भाग), शाहरी के नये दौर (5 भाग), शाइरी के नये मोड़ (5 भाग), नग्मए-हरम, लो कहानी सुनो, हँसें तो फूल झड़ें, उस्तादाना कमाल, कुछ मोती कुछ सीप, जैन जागरण के अग्रदूत।
1975 में सहारनपुर (उ.प्र.) में देहावसान।