Faiz Ahmed 'Faiz'
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जन्म : 1911, गाँव काला कादर, सियालकोट।
शिक्षा : आरम्भिक धार्मिक शिखा मौलवी मुहम्मद इब्राहिम मीर सियालकोटी से प्राप्त की। मैट्रिक स्कॉच मिशन स्कूल और स्नातकोत्तर मुरे कॉलेज, सियालकोट से। वामपंथी विचारधारा के जुझारू पैरोकार फैज़ ने 1936 में प्रगतिशील लेखक संघ की एक शाखा पंजाब में आरम्भ की। 1935 में एम्.इ.ओ.कॉलेज, अमृतसर और बाद में हेली कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, लाहौर में अध्यापन। 1938-1942 के दौरान उर्दू मासिक ‘अदबे लतीफ़’ का सम्पादन। कुछ समय तक फैज ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भी रहे जहाँ 1944 में उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया था। 1947 में सेना से इस्तीफा देने के बाद ‘पाकिस्तान टाइम्स’ के पहले प्रधान संपादक बने। 1959 से 1962 तक पाकिस्तान आर्ट्स काउंसलिंग के सचिव रहे।
1964 में लन्दन से वापस आने के बाद फैज कराची में अब्दुल्लाह हारुन कॉलेज के प्रिंसिपल नियुक्त हुए।
1951 में फैज को रावलपिंडी षड्यंत्र केस में चार साल की जेल भी हुई, जहाँ उन्होंने जीवन की कडवी सच्चाइयों से सीधा साक्षात्कार किया।
प्रमुख रचनाएँ : नक़्शे-फ़रियादी (1941), दस्ते-सबा (1953), ज़िन्दाँनामा (1956), मीजान (1956), दस्ते-तहे-संग (1965), सरे-वादिए-सीना (1971), शामे-शह्रे-याराँ (1979), मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर (1981); सारे सुखन हमारे (फैज-संग्रह); लंदन से और नुस्खहा-ए-वफ़ा (फैज-संग्रह) पाकिस्तान से, ‘पाकिस्तानी कल्चर’ (उर्दू और अंग्रेजी में) (1984)।
फैज की रचनाओं का अंग्रेजी, रूसी, बलोची, हिंदी सहित दुनिया की अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
पुरस्कार : लेनिन पीस प्राइज, द पीस प्राइज (पाकिस्तानी मानवाधिकार सोसायटी), निगार अवार्ड, द एविसेना अवार्ड, निशाने-इम्तियाज (मरणोपरांत)। 1984 में मृत्यु से पहले नोबेल प्राइज के लिए नामांकन हुआ था।
निधन : 20 नवम्बर, 1984 को लाहौर में।