Fakir Mohan Senapati
फ़कीरमोहन सेनापति
(1843-1918) ओड़िया भाषा और साहित्य में युग-निर्माता साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित हैं। हालाँकि उन्होंने ओड़िया साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में अपनी क़लम चलाई, लेकिन ओड़िया गल्प के जनक के रूप में उन्हें ज्यादा याद किया जाता है। वे प्रथम ओड़िया कवि हैं, जिन्होंने जनजातीय जीवन पर गीत लिखे–सांसारिक जीवन को छंदबद्ध करनेवाले भी वे पहले कवि हैं। उनकी रचनाओं में आम जन-जीवन के चित्र मिलते हैं। उन्होंने असंगत रीति-रिवाजों एवं अंधविश्वासों और तथाकथित सभ्य समाज की बुराइयों पर प्रहार किया। बाङ्ला और संस्कृत से ओड़िया में अनुवाद के अलावा उनकी प्रकाशित कृतियों में उत्कल ब्राह्मण पृष्पमाला प्रजाफूल एवं उपहार (काव्य), छमाण आठगुंठः लछगा; मायु एवं प्रायश्वित्त (उपन्यास); अनेक कहानी-संग्रह और कुछ निबंध प्रमुख हैं।
छह बीघा ज़मीन की यह हिंदी प्रस्तुति प्रतिष्ठित अनुवादक युगजीत नवलपुरी द्वारा की गई है। युगजीत नवलपुरी कई भाषाओं के जानकार थे। उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण कृतियों का अनुवाद किया है। इस उपन्यास का मूल ओड़िया से हिंदी अनुवाद उन्होंने ऐसी प्रांजल भाषा और शैली में किया है कि मूल का सा आस्वाद प्राप्त होता है।