Gajanan Madhav Muktibodh

Gajanan Madhav Muktibodh

गजानन माधव मुक्तिबोध

जन्म : 13 नवम्बर, 1917 को श्योपुर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), नागपुर विश्वविद्यालय।

विवाह : माता-पिता की असहमति से प्रेम-विवाह।

आजीविका : 20 वर्ष की उम्र से बडऩगर मिडिल स्कूल में मास्टरी आरम्भ करके दौलतगंज (उज्जैन), शुजालपुर, इन्दौर, कलकत्ता, बम्बई, बंगलौर, बनारस, जबलपुर, नागपुर में थोड़े-थोड़े अरसे रहे।

अन्ततः 1958 में दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगाँव में प्राध्यापक।

अभिरुचि : अध्ययन-अध्यापन, पत्रकारिता। साथ ही साहित्य, आकाशवाणी, राजनीति की नियमित-अनियमित व्यस्तता के बीच।

आप अज्ञेय द्वारा सम्पादित ‘तार सप्तक’ के पहले कवि के रूप में भी जाने जाते हैं। प्रगतिशील कविता और नई कविता के बीच आपकी कलम की भूमिका अहम और अविस्मरणीय रही जिसका महत्त्व अपने ‘विज़न’ में आज भी एक बड़ी लीक।

प्रकाशित साहित्य : चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी खाक-धूल, (कविता-संग्रह); काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी (कथा-साहित्य); कामायनी : एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्म-संघर्ष, नए साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र (जिसका नया संस्करण अब कुछ परिवर्तित रूप में ‘आखिर रचना क्यों?’ नाम से प्रकाशित), समीक्षा की समस्याएँ,  एक साहित्यिक की डायरी (आलोचना); भारत : इतिहास और संस्कृति (विमर्श); मेरे युवजन मेरे परिजन (पत्र-साहित्य); शेष-अशेष (असंकलित रचनाएँ)। समग्र :  मुक्तिबोध रचनावली (आठ खंड)।

निधन : 11 सितम्बर, 1964 को नई दिल्ली।

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