Jay Prakash Gupta
जय प्रकाश गुप्ता मानव विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ-साथ विधि और सैन्य विज्ञान में स्नातक हैं। मुंडा एवं उराँव जनजातियों के रीति-रिवाज से संबंधित विधि पर शोध ‘कस्टमरी लॉ ऑफ दी मुंडा एंड दी उराँव’ प्रस्तुत कर ‘डॉक्टर-ऑफ-फिलोसॉफी’ (पी-एच.डी.) की उपाधि प्राप्त की। जनजातीय समुदाय से संबंधित उनके कई लेख एवं पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिसमें प्रमुख है – ‘फिफ्थ शिड्यूल टू दी कान्सट्यूशन’। वर्तमान में समस्त भारत के अनुसूचित जनजातियों की रूढ़ियों एवं प्रथाओं का अध्ययन करते हुए उनकी विधिक मान्यता पर कुल सत्रह खंडों में विभिन्न राज्य/क्षेत्र के लिए अध्ययन-लेखन कर रहे हैं, जिसका प्रथम खंड-‘झारखंड-बिहार’ प्रकाशित हो चुका है।
रत्नेश कुमार मिश्र (एम:ए. (हिंदी) विभिन्न सरकारी संस्थानों में राजभाषा प्रशिक्षण का कार्य और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के लिए अनुवाद व स्वतंत्र लेखन करते हैं।
संप्रति : केंद्रीय हिंदी निदेशालय में सहायक अनुसंधान अधिकारी।