Jayant Pawar
जयंत पवार
जन्म : 1960। समकालीन मराठी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं। बतौर पत्रकार अपना करियर शुरू करने वाले जयंत पवार ने मराठी फिल्म साप्ताहिक पत्रिका ‘चंदेरी’ में बतौर उपसंपादक काम किया है और सन् 1997 से लेकर वे ‘महाराष्ट्र टाइम्स’ में कार्यरत हैं।
मुंबई जैसे महानगर का मजदूर जगत्, वंचित वर्ग तथा निम्नमध्यवर्गीय जीवन की संवेदना को अपने लेखन का केंद्र बनाने वाले जयंत जी मराठी साहित्य के एक जाने-माने प्रयोगधर्मी नाटककार और निर्देशक हैं। आपने ‘दरवेशी’, ‘मेला तो देशपांडे’, ‘दुजा शोक वाहे’, ‘होड्या’, ‘शेवटच्या बीभत्साचे गाणे’ आदि मराठी नाटक और पंद्रह एकांकी नाटक लिखे हैं।
जिस दौर में मराठी कहानी मात्र सामाजिक यथार्थ के ‘क्लिशे’ में फँस कर क्षीणप्राय हो रही थी, तब जयंत पवार ने विषयवस्तु, भाषा, कथ्य, शिल्प, रूप की नयी संभावनाओं की तलाश कर पाठकों को फिर एक बार मराठी कहानी से मुखातिब किया। इस दृष्टि से उनके ‘फिनिक्सच्या राखेतून उठला मोर’ तथा ‘वरण भात लोणच्या कोई नाई कोनच्या’ आदि कहानी संकलन विशिष्ट हैं।
सन् 2012 में आपके मराठी कहानी संकलन ‘फिनिक्सच्या राखेतून उठला मोर’ के लिए आपको साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आपको नाटक, निर्देशन और कहानी साहित्य में अपने योगदान के लिए दर्जनों प्रतिष्ठित पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया है।