Kailash Satyarthi
कैलाश सत्यार्थी
कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी, 1954 को विदिशा, मध्य प्रदेश में हुआ। उन्होंने भोपाल विश्वविद्यालय (अब बरकतुल्ला विश्वविद्यालय) से बी.ई. और उसके बाद ट्रांसफ़ॉर्मर डिज़ाइन में मास्टर्स डिप्लोमा किया। किशोरावस्था से ही सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध मुखर रहे। छुआछूत, बाल विवाह आदि के ख़िलाफ़ अभियान चलाया। उनकी अगुआई में 1981 से अब तक, सवा लाख से अधिक बच्चे बाल मज़दूरी और ग़ुलामी से मुक्त कराए जा चुके हैं। इस क्रम में छापामार कार्रवाइयों के दौरान कई बार जानलेवा हमले भी झेले। 1998 में ‘बालश्रम विरोधी विश्वयात्रा’ का आयोजन किया जो 103 देशों से होकर गुज़री और लगभग छह महीने चली। परिणामस्वरूप ख़तरनाक क़िस्म की बाल- मज़दूरी रोकने के लिए अन्तरराष्ट्रीय क़ानून बना जिसे सभी राष्ट्र लागू कर चुके हैं। विश्वभर के बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1999 में ‘ग्लोबल कैंपेन फ़ॉर एजुकेशन’ की शुरुआत की। शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने के लिए 2001 में ‘भारत यात्रा’ की। परिणामस्वरूप देश के संविधान में संशोधन हुआ और शिक्षा का अधिकार क़ानून बना। भारत में बाल यौन शोषण और ट्रैफ़िकिंग के ख़िलाफ़ 2017 में 11 हज़ार किलोमीटर की ‘भारत यात्रा’ की जो यौन अपराधों के लिए सख़्त क़ानून के निर्माण में उत्प्रेरक बनी। बाल मज़दूरी और दुर्व्यापार रोकने के लिए भारत और दक्षिण एशियाई देशों में कई मार्च आयोजित किए। ग़ुलामी और बाल मज़दूरी से मुक्त कराए गए बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा और नेतृत्व निर्माण के लिए मुक्ति आश्रम, बाल आश्रम और बालिका आश्रमों की स्थापना की। मानवता के प्रति उल्लेखनीय योगदानों के लिए उन्हें ‘नोबेल शान्ति पुरस्कार’ (2014), ‘डिफ़ेंडर्स ऑफ़ डेमोक्रेसी अवॉर्ड’, ‘मेडल ऑफ़ इटैलियन सीनेट’, ‘रॉबर्ट एफ़. कैनेडी ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड’, ‘हार्वर्ड ह्यूमैनिटेरियन अवॉर्ड’ आदि कई पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं। कई विश्वविद्यालयों ने उन्हें पी-एच.डी. की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया है। उनकी आधा दर्ज़न से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं।