Kishan Patnayak
किशन पटनायक
(1930–2004)
लगभग 50 वर्षों से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय किशन पटनायक युवावस्था से ही समाजवादी आन्दोलन के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए थे। वे समाजवादी युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और केवल 32 वर्ष की आयु में 1962 में सम्बलपुर से लोकसभा के सदस्य चुने गए। समाजवादी आन्दोलन के दिग्भ्रमित और अवसरवादी होने पर 1969 में दल से अलग हुए, 1972 में लोहिया विचार मंच की स्थापना से जुड़े और बिहार आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। इमरजेन्सी में और उससे पहले सात–आठ बार जेल में बन्दी रहे। मुख्यधारा की राजनीति का एक सार्थक विकल्प बनाने के प्रयास में 1980 में समता संगठन, 1990 में जनान्दोलन समन्वय समिति, 1995 में समाजवादी जन परिषद और 1997 में जनान्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की स्थापना से जुड़े।
राजनीति के अलावा साहित्य और दर्शन में दिलचस्पी रखनेवाले किशन पटनायक ने ओड़िया, हिन्दी और अँगरेजी में अपना लेखन किया है। साठ के दशक में डॉ. रामनोहर लोहिया के साथ अँगरेजी पत्रिका ‘मैनकाइंड’ के सम्पादक मंडल में काम किया और उनकी मृत्यु के बाद जब तक ‘मैनकाइंड’ का प्रकाशन होता रहा, उसके सम्पादक रहे। इस दौरान प्रसिद्ध हिन्दी पत्रिका ‘कल्पना’ में राजनैतिक–सामाजिक विषयों और साहित्य पर लेखन के साथ–साथ एक लम्बी कविता भी प्रकाशित की। उनके लेख ‘मैनकाइंड’, ‘जन’, ‘धर्मयुग’, ‘रविवार’, ‘सेमिनार’ ‘और अखबारों तथा पत्रिकाओं में छप चुके हैं। सन् 1977 से लगातार निकल रही मासिक हिन्दी पत्रिका ‘सामयिक वार्ता’ के मृत्युपर्यंत प्रधान सम्पादक रहे ।
प्रकाशित पुस्तकें : विकल्पहीन नहीं है दुनिया : सभ्यता, समाज और बुद्धिजीवी की स्थिति पर कुछ विचार, भारतीय राजनीति पर एक दृष्टि : गतिरोध, सम्भावना और चुनौतियाँ, किसान आन्दोलन : दशा और दिशा।
चैथी पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य।