Laxmi Prasad Pant
लक्ष्मी प्रसाद पंत
उत्तराखंड का बेहद ख़ूबसूरत ज़िला है चमोली। इसी ज़िले के पिलंग गाँव से पैदाइश, परवरिश और पहचान जुड़ी है। डीयू में पढ़ाई फिर पत्राकारिता में पीजी, जिज्ञासाएँ पेशा बनीं तो हो गये पत्रकार। पहाड़ में पैदाइश इसलिए प्रकृति और पर्यावरण पर झुकाव। इसलिए पत्राकारिता में इसी विषय पर सबसे ज़्यादा काम। शुरुआत प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘कथादेश’ में उप-सम्पादक के तौर पर की। ‘दैनिक जागरण’, ‘अमर उजाला’ और फिलवक़्त ‘दैनिक भास्कर’ में स्टेट एडिटर, राजस्थान रहते हुए कश्मीर, उत्तराखंड, नेपाल सहित हिमालयी राज्यों की जमकर रिपोर्टिंग। एवरेस्ट के बेस कैम्प तक जाकर बदलते पर्यावरण पर की गयी रिपोर्टिंग जो हिन्दी अख़बारों में पहली बार हुई। इसलिए पूरे देश में सराही गयी। 2004 में ‘दैनिक जागरण’ में रहते यह बता दिया था कि कुछ अनिष्ट होने वाला है केदारनाथ में। किस रास्ते से होगा, कितनी तबाही और भीषणता, इसका भी दस्तावेज़ी दावा।
स्वभाव ऐसा कि प्रकृति से जुड़ी कोई हलचल नज़र अन्दाज़ नहीं होती, तेवर ये कि किसी को नज़र अन्दाज़ करने भी नहीं दे सकते। यही प्रकृति प्रेम अब पहचान बनता जा रहा है जो अच्छा लगता है।