Leeladhar Jagudi
लीलाधर जगूड़ी
जन्म : 1 जुलाई, 1940; धंगण गाँव (सेम मुखेम), टिहरी (उत्तराखंड)।
राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अलावा अनेक प्रान्तों और शहरों में कई प्रकार की जीविकाएँ करते हुए शालाग्रस्त शिक्षा के अनियमित क्रम के बाद हिन्दी साहित्य में एम.ए.। फ़ौज (गढ़वाल राइफ़ल) में सिपाही। लिखने-पढ़ने की उत्कट चाह के कारण तत्कालीन रक्षामंत्री कृष्ण मेनन को प्रार्थना-पत्र भेजा, फलतः फ़ौज की नौकरी से छुटकारा। छब्बीसवें वर्ष में पूरी तरह घर वापसी और परिवार की ख़राब आर्थिक स्थिति के कारण सरकारी जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक की नौकरी। बाद में पब्लिक सर्विस कमीशन, उत्तर प्रदेश से चयनोपरान्त उत्तर प्रदेश की सूचना सेवा में उच्च अधिकारी।
सेवानिवृत्ति के बाद नए राज्य उत्तराखंड में सूचना सलाहकार, उत्तरांचल दर्शन के प्रथम सम्पादक तथा उत्तराखंड के संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष रहे।
प्रकाशित कृतियाँ : शंखमुखी शिखरों पर, नाटक जारी है, इस यात्रा में, रात अब भी मौजूद है, बची हुई पृथ्वी, घबराए हुए शब्द, भय भी शक्ति देता है, अनुभव के आकाश में चाँद, महाकाव्य के बिना, ईश्वर की अध्यक्षता में, ख़बर का मुँह विज्ञापन से ढका है, जितने लोग उतने प्रेम (कविता-संग्रह); मेरे साक्षात्कार, प्रश्न व्यूह में प्रज्ञा (साक्षात्कार)।
प्रौढ़ शिक्षा के लिए हमारे आखर तथा कहानी के आखर का लेखन। उत्तर प्रदेश मासिक और राजस्थान के शिक्षक-कवियों के कविता-संग्रह लगभग जीवन का सम्पादन। अनेक देशी और विदेशी भाषाओं में कविताओं के अनुवाद।
सम्मान : व्यास सम्मान; साहित्य अकादेमी पुरस्कार; पद्मश्री सम्मान; रघुवीर सहाय सम्मान; भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ता का सम्मान; उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का नामित पुरस्कार; साहित्य अकादेमी की फेलोशिप प्वेट एट रेजिडेन्स के अन्तर्गत वर्तमान संग्रह का संयोजन।