Madan Daga
मदन डागा
मदन डागा का जन्म 10 अक्तूबर, 1933 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ। उन्होंने जोधपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी) और पी-एच.डी. किया। वे जोधपुर विश्वविद्यालय के सीनेटर, राजस्थान लेखक संघ के महामंत्री, एस.एम.एस.एस. एम्प्लॉइज यूनियन, जोधपुर के उपाध्यक्ष, सोवियत सांस्कृतिक संघ, साहित्य संगम, जोधपुर के सचिव समेत कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे।
जीवन-यापन के लिए सड़कों पर हॉकर बने, दुकानों में काम किया, सरकारी सर्वे करने गाँव-गाँव भटके, फिर स्कूलमास्टरी की। कमला नेहरू गर्ल्स कॉलेज, ला. मे. कॉलेज ऑफ साइंस, जोधपुर विश्वविद्यालय तथा सो. कॉमर्स कॉलेज आदि में अध्यापन किया। छात्र-जीवन से ही विभिन्न आन्दोलनों में सक्रिय रहे। धरने दिए। घेराव किये, पुलिस की लाठियाँ व जेल की हवा भी खूब खाई। वे बहुचर्चित छात्रनेता रहे तो विद्यार्थी-प्रिय शिक्षक व जनप्रिय लेखक भी। रचनाएँ पोस्टर बनीं तो आकाशवाणी से प्रसारित होते काटी-छाँटी व आपातकाल में रोकी भी गईं। अनेक भाषाओं में अनूदित हुईं। उनकी रचनाएँ जन-संघर्षों का हथियार बनीं।
उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘आँसू का अनुवाद’, ‘सीपी का सैलाब’, ‘साहित्यकार व साम्प्रदायिकता अजानी सलीबों पर’, ‘धौरां भाई वोल्गा’, ‘सीपी-मुक्ता’, ‘सावचैत रैणो है’, ‘कुर्सीप्रधान देश’, ‘शाकाहारी कविताएँ’, ‘यह कैसा मज़ाक़ है व अन्य कविताएँ’ आदि।
29 अप्रैल, 1985 को मुम्बई में निधन।