Madhuresh

Madhuresh

मधुरेश

वास्तविक नाम : राम प्रकाश शंखधर

10 जनवरी 1939 को बरेली में एक निम्न मध्यवित्त परिवार में जन्म। बरेली कॉलेज, बरेली से अंग्रेज़ी और हिन्दी में एम.ए., पीएच.डी. नहीं की। कुछ वर्ष अंग्रेज़ी पढ़ाने के बाद लगभग तीस वर्ष शिवनारायण दास पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, बदायूँ, के हिन्दी विभाग में अध्यापन के बाद 30 जून 1999 को सेवानिवृत्त। लगभग पाँच दशकों से कथा-समीक्षा में सक्रिय हिस्सेदारी। शुरू में कुछ लेख अंग्रेज़ी में भी प्रकाशित। अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद। अब स्वतन्त्र लेखन।

प्रकाशित पुस्तकें : आज की हिन्दी कहानी : विचार और प्रतिक्रिया, यशपाल के पत्र, सिलसिला : समकालीन कहानी की पहचान, क्रान्तिकारी यशपाल : समर्पित व्यक्तित्व (सं.), देवकीनन्दन खत्री, सम्प्रति : समकालीन उपन्यास में संवेदना और सरोकार, रांगेय राघव, राहुल का कथा-कर्म, हिन्दी कहानी का विकास, हिन्दी कहानी : अस्मिता की तलाश, हिन्दी उपन्यास का विकास, नयी कहानी : पुनर्विचार, यह जो आईना है (संस्मरण), ‘परिवेश’ के आलोचक प्रकाशचन्द्र गुप्त पर केन्द्रित अंक के अतिथि सम्पादक, अमृतलाल नागर : व्यक्तित्व और रचना संसार, भैरव प्रसाद गुप्त, मैला आँचल का महत्त्व (सं.), दिव्या का महत्व, और भी कुछ, हिन्दी उपन्यास : सार्थक की पहचान, कहानीकार जैनेन्द्र कुमार : पुनर्विचार, हिन्दी आलोचना का विकास, मेरे अपने रामविलास, भारतीय लेखक : यशपाल पर केन्द्रित विशेषांक के अतिथि सम्पादक, यशपाल रचना संचयन (सं.), यशपाल : रचनात्मक पुनर्वास की एक कोशिश, बाणभट्ट की आत्मकथा : पाठ और पुनःपाठ (सं.), यशपाल रचनावली की भूमिकाएँ, फणीश्वरनाथ रेणु और मार्क्सवादी आलोचना (सं.), अश्क के पत्र, रज़िया सुल्तान बेग़म उर्फ रंगमहल के हलाहल : किशोरी लाल गोस्वामी : भूमिका और प्रस्तुति, जुझार तेजा : लज्जाराम मेहता : भूमिका और प्रस्तुति, सौन्दर्योपासक : ब्रजनन्दन सहाय : भूमिका और प्रस्तुति, मल्लिका देवीवाबंग सरोजनी : भूमिका और प्रस्तुति, माधव-माधवी : भूमिका और प्रस्तुति, राधेश्याम कथावाचक, आलोचना : प्रतिवाद की संस्कृति, मार्क्सवादी आलोचना और शिवदान सिंह चौहान। इनके अतिरिक्त लगभग 15 पुस्तकें प्रकाशनाधीन।

सम्मान और पुरस्कार : ‘समय मांजरा सम्मान’, जयपुर (2004), ‘गोकुल चन्द्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार’, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल शोध संस्थान, वाराणसी (2004), राज्यपाल/कुलाधिपति द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली की कार्य-परिषद में नामित (2009), ‘प्रमोद वर्मा आलोचना सम्मान’, रायपुर (छ.ग.) (2010), आलोचक मधुरेश पर एकाग्र, ‘प्रकाश की बहती नदी’ (सम्पादक : विश्वरंजन), (2011), आलोचना सदैव एक सम्भावना है- प्रो. प्रदीप सक्सेना द्वारा सम्पादित मूल्यांकन (2012)।

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