Mahesh Katare
महेश कटारे
आपका जन्म जनवरी, 1948 को ग्राम—बिल्हैटी, ज़िला—ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ। आपने असंस्थागत रहकर तीन विषयों में एम.ए. तक की पढ़ाई की। आजीविका के लिए खेती, फिर कुछ वर्ष स्कूल में अध्यापन।
आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘समर शेष है’, ‘इतिकथा अथकथा’, ‘मुर्दा स्थगित’, ‘पहरुआ’, ‘छछिया भर छाछ’, ‘सात पान की हमेल’, ‘मेरी प्रिय कथाएँ’, ‘गौरतलब कहानियाँ’ (कहानी); ‘महासमर का साक्षी’, ‘अँधेरे युगान्त के’, ‘पचरंगी’ (नाटक); ‘पहियों पर रात दिन’, ‘देस बिदेस दरवेश’ (यात्रावृत्त); ‘कामिनी काय कांतारे, ‘कालीधार’ (शीघ्र प्रकाश्य) (उपन्यास); ‘समय के साथ-साथ’, ‘नज़र इधर-उधर’ (अन्य)।
प्रायः सभी हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, नाट्य-समीक्षाएँ आदि प्रकाशित, नृत्य-नाटिकाओं का मंचन-प्रसारण।
आप ‘सारिका सर्वभाषा कहानी प्रतियोगिता-1983’ में प्रथम, ‘वागीश्वरी सम्मान’, म.प्र.सा. परिषद का ‘मुक्तिबोध पुरस्कार’, म.प्र.सा. अकादेमी से ‘सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘बिहार राजभाषा परिषद् सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘कथाक्रम सम्मान’, ‘ढींगरा फ़ाउंडेशन कथा सम्मान’ (स्कारबरो, कनाडा), ‘कुसुमांजलि सम्मान-2015’ से सम्मानित किए जा चुके हैं।
फ़िलहाल आप खेती और लेखन में व्यस्त हैं।