Malini Awasthi

Malini Awasthi

मालिनी अवस्थी

इत्रों के नगर कन्नौज, उत्तर प्रदेश में जन्मी मालिनी अवस्थी हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत और अवध क्षेत्र की प्रतिष्ठित लोक-गायिका। भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय, लखनऊ से संगीत की शिक्षा-दीक्षा एवं लखनऊ विश्वविद्यालय से मध्यकालीन इतिहास में परास्नातक। दोनों ही विश्वविद्यालयों द्वारा स्वर्ण-पदक प्राप्त। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से मानद डी.लिट्. की उपाधि। सेनिया बनारस घराने की महान शास्त्रीय गायिका श्रीमती गिरिजा देवी तथा गोरखपुर के गायक उस्ताद राहत अली ख़ाँ की शिष्या। आकाशवाणी की टॉप ग्रेड की कलाकार। संगीत के प्रति आस्था जगाने का काम माँ श्रीमती निर्मला अवस्थी से विरासत में प्राप्त। बनारस घराने की चारों-पट गायिकी में निष्णात तथा उपशास्त्रीय गायन- ठुमरी, टप्पा, दादरा आदि में सिद्धहस्तता। लोकगायन के क्षेत्र में अवधी, भोजपुरी, काशिका, ब्रज और बुन्देलखण्डी बोलियों के गीतों को देश-विदेश में प्रसारित और स्थापित किया।

लोकप्रिय टी.वी. कार्यक्रमों सारेगामा, अन्ताक्षरी, जुनून और सुर संग्राम में बतौर कलाकार प्रस्तुति के अतिरिक्त फ़िल्मों में भी पार्श्वगायन। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री, केन्द्रीय संगीत नाटक अकादेमी सम्मान, यश भारती सम्मान, कालिदास सम्मान, देवी अहिल्या सम्मान, महाराजा मेवाड़ सम्मान, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादेमी रत्न सदस्यता तथा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादेमी सम्मान से सम्मानित। मॉरीशस सरकार द्वारा विश्व भोजपुरी सम्मान तथा नीदरलैण्ड सरकार द्वारा निर्मित गोस्वामी तुलसीदास पर आधारित फ़िल्म ‘तुलसी’ के लिए विशेष ‘तुलसी सम्मान’। लोकगीतों पर व्याख्यान के लिए देश-विदेश में आमंत्रित, जिनमें हॉवर्ड तथा सिनसिनाटी विश्वविद्यालय समेत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान एवं भारतीय प्रबन्धन संस्थान में संवाद, व्याख्यान। यूनेस्को के सांस्कृतिक आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं। आई.सी.सी. आर. (भारत सरकार) की गवर्निंग काउंसिल की मानस सदस्य। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़ ऑफ़ द स्कूल ऑफ आर्ट्स एण्ड एस्थेटिक्स की सदस्य। लोक संगीत के विभिन्न रूपों पर शोध और दस्तावेज़ीकरण के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के भारतीय अध्ययन केन्द्र में चेयर प्रोफेसर (2017-2022)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के मीडिया केन्द्र में मानद विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दी। भारतीय शास्त्रीय गायन एवं लोक गीतों के प्रचार-प्रसार हेतु अमेरिका, इंग्लैण्ड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड्स, दुबई, मॉरीशस, नेपाल, त्रिनिदाद, तंजानिया, फिजी द्वीप समूह सहित कई देशों की अन्तर्राष्ट्रीय यात्राएँ। लोक संगीत शैलियों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए ‘सोन चिरैया’ संस्था का निर्माण तथा ‘देशज’ समारोह की कल्पनाकार व समन्वयक। पारम्परिक लोक संगीत, लोक साहित्य के संरक्षण, पुनर्लेखन, संकलन में संलग्न। स्थायी निवास लखनऊ, भारतीय संस्कृति एवं गायन के लिए समर्पित।

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