Moti Nandy Translated by Siddhesh

Moti Nandy Translated by Siddhesh

मति नंदी

मति नंदी (जन्म : 1931) : होश सँभालने के बाद खेल हो या साहित्य-दोनों ही मैदानों के साथ अंतरंग जुड़ाव और कलकत्ता के पुराने मोहल्ले में कई पीढ़ियों से निवास के फलस्वरूप बनते-बिगड़ते महानगरीय परिवेश से घनिष्ठ परिचय ने मति नंदी के व्यक्तित्व और कृतित्व का निर्माण किया है। उनके साहित्य में इन दोनों की घनिष्ठ और जीवंत छाप देखी जा सकती है।

साहित्य से जुड़ने के साथ ही श्री नंदी ने बाङ्ला के सुपरिचित कथाकार माणिक बंद्यौपाध्याय की समृति में आयोजित उपन्यास-प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। उनकी पहली कहानी साप्ताहिक देश पत्रिका में 1956 में प्रकाशित हुई। उन्होंने कोशकार के सहायक, स्वतंत्र संवाददाता और आनंदबाज़ार पत्रिका कलकत्ता के खेल स्तंभकार के रूप में लगभग पाँच वर्षों तक कार्य किया। उनकी पहली कहानी परिचय पत्रिका (पूजा विशेषांक) में 1958 में प्रकाशित हुई। खेलों के अलावा फिल्मों के लिए भी, विशेषकर उनके निर्माण से जुड़े शिल्प पर भी आपने कई आलेख प्रस्तुत किए। कहानी और उपन्यास के अलावा क्रिकेट के नियम और कीर्तिमानों पर भी पुस्तकें लिखीं। अपने लेखन से खेल जगत में पर्याप्त यश अर्जित करने के लिए आप कलकत्ता स्पोर्टस्‌ अवार्ड से सम्मानित हुए। श्री नंदी की रचनाएँ अन्यान्य भारतीय भाषाओं में भी अनूदित हुई हैं। वे 1974 में आनंद पुरस्कार से सम्मानित हुए। उनके उपन्यासों पर फिल्में भी बनी, जिसमें स्टाइकर और कोनी विशेष चर्चित हुईं।

इस कृति का अनुवाद हिंदी और बाङ्ला के यशस्वी कवि-कथाकार और संपादक श्री सिद्धेश ने बड़ी कुशलता से किया है।

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