Nasir Kazmi
नासिर रज़ा काज़मी
उर्दू ग़ज़ल को नई भावात्मक गहराई और लयात्मकता से परिचित कराने वाले नासिर रज़ा काज़मी 8 दिसंबर 1925 को अंबाला में पैदा हुए। इस्लामिया कॉलेज लाहौर से एफ़. ए. पास करने के बाद बी. ए. में पढ़ रहे थे, कि इम्तिहान दिए बग़ैर अपने वतन अंबाला वापस चले गए। 1947 में दोबारा लाहौर गए। एक साल तक ‘औराक़-ए-नौ’ नाम की पत्रिका के संपादक-मंडल में शामिल रहे। अक्तूबर 1952 से पत्रिका ‘हुमायूँ’ का संपादन कार्य संभाला। नासिर की शे’र-गोई का आग़ाज़ 1940 से हुआ। हफ़ीज़ होशयारपूरी के शागिर्द रहे। रेडियो पाकिस्तान से भी जुड़े रहे। 2 मार्च 1972 को लाहौर में आख़िरी साँस ली।
उनकी किताबों के नाम ये हैं : ‘बर्ग-ए-नय’, ‘दीवान’, ‘पहली बारिश’, ‘निशात-ए-ख़्वाब’ ‘सुर की छाया’ (मंज़ूम ड्रामा), ‘ख़ुश्क चश्मे के किनारे’ (लेख), ‘नासिर काज़मी की डायरी’, ‘इन्तिख़ाब-ए-वली दकनी’, ‘इन्तिख़ाब-ए-मीर’, ‘इन्तिख़ाब-ए-नज़ीर अकबराबादी’, ‘इन्तिख़ाब-ए-इंशा अल्लाह ख़ाँ इंशा’।