Neela Padmnabhan translated H Balasubrahmanyam

Neela Padmnabhan translated H Balasubrahmanyam

नील पद्मनाभन : (जन्म 1938, केरल) तमिल के अलावा मलयालम्‌, अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा जानने वाले पद्मनाभन ने अपने लेखक-जीवन का प्रारंभ 1953 में किया। आपकी तीन दर्जन से ज़्यादा कृतियाँ प्रकाशित हैं, जिनमें महत्त्वपूर्ण तमिल कृतियाँ हैं-उरबुगल (उपन्यास) मोहन् मुप्पतु आंडु, वेल्लम्‌ कूडिनुल पक्षिकल (कहानी-संग्रह) नील पद्मनाभन कवितैगल (कविता-संग्रह) सिदिरिया चिंतनकल (निबंध-संग्रह)। इलै उदिर कालम्‌ (उपन्यास) के लिए आपको वर्ष 2003 का तमिल भाषा का साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्रदान किया गया। आपने कई महत्त्वपूर्ण मलयालम्‌ कृतियों का तमिल में अनुवाद भी किया है। अय्यप पणिक्कर के मलयालम्‌ कविता-संग्रह के तमिल अनुवाद के लिए आपको 2003 में साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार भी दिया जा चुका है।

एच.बालसुब्रह्मण्यम (1932) विगत 40 वर्षों से तमिल, हिंदी, मलयालम्‌ के परस्पर अनुवाद-कार्य में जुटे हैं। फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियाँ के तमिल अनुवाद पर आपको साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार प्राप्त है। साहित्य अकादेमी प्रकाशन संरचनावाद; उत्तर संरचनावाद और प्राच्य काव्यदर्शन का इनका तमिल अनुवाद तमिलनाडु के विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों के मध्य लोकप्रिय है। अब तक 40 श्रेष्ठ कृतियों के अनुवादक सुब्रह्मण्यम, उ.प्र. हिंदी संस्थान, हिंदी साहित्य सम्मेलन, सहित अनेक संस्थाओं से सम्मानित हैं।

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