Neerja Madhav

Neerja Madhav

नीरजा माधव

15 मार्च, 1962 को मुफ्तीगंज, जौनपुर के ग्राम कोतवालपुर में जन्मी नीरजा माधव ने अंग्रेजी में एम.ए., बी.एड. और पी-एच.डी. के साथ ही सितार में डिप्लोमा किया।

सुपरिचित कथाकार नीरजा माधव के उपन्यास ‘यमदीप’, ‘तेभ्य स्वधा’, ‘गेशे जम्पा’, ‘अनुपमेय शंकर’, ‘अवर्ण महिला कांस्टेबल की डायरी’, ‘ईहा मृग’, ‘धन्यवाद सिवनी’ और ‘देनपा : तिब्बत की डायरी’ पाठकों के बीच खूब प्रशंसित हुए है। अब तक उनके छह कहानी संग्रह और दो कविता संग्रह ‘प्रथम छंद से स्वप्न’ व ‘प्रस्थानंत्रयी’ हिन्दी साहित्य में अन्यतम श्रीवृद्धि करने वाले हैं। ‘चैत चित्त मन महुआ’, ‘सांझी फूलन चीति’, मोहक ललित निबंध संग्रह हैं। इनकी रचनाओं के अनुवाद उड़िया, अंग्रेजी, उर्दू, मलयालम व बल्गारियाई भाषा में भी हो चुके हैं। अनेक पाठ्यक्रमों में लगी नीरजा माधव की रचनाएं नई पीढ़ी को संस्कारित कर रही हैं।

साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में भारतीय नारियों के योगदान को दर्शाने वाली ‘हिन्दी साहित्य का ओझल नारी इतिहास’ नीरजा माधव की एक महत्त्वपूर्ण बहुचर्चित पुस्तक है।

‘सर्जना पुरस्कार’, ‘यशपाल पुरस्कार’, ‘भारतेन्दु प्रभा’, मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी अवार्ड, ‘शंकराचार्य पुरस्कार’, ‘शैलेश मटियानी पुरस्कार’, ‘ष्ट्रीय साहित्य सर्जक पुरस्कार और ‘काशीरत्न सम्मान’ से सम्मानित नीरजा माधव अनेक विधाओं में सृजनरत हैं।

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