Par Lagerqvist translated Ramesh Dave

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पॉर लागरक्विस्त (1891-1974) स्वीडिश एकेडमी द्वारा सम्मानित 1940 से आज तक के उन अमर रचनाकारों में से एक हैं जिन्हें अपनी इस अद्भुत और महान कृति पर वर्ष 1951 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म दक्षिण स्वीडेन के एक प्रादेशिक नगर में वर्ष 1891 में हुआ था। वे वर्षों विदेश में रहे और डेनमार्क, इटली और फ्रांस में प्रवास के दौरान 1913 में नव-अभिव्यंजनावादियों की कला का उनकी सोच एवं साहित्य सृजन की शैली पर गहरा प्रभाव पड़ा जिसके कारण प्रकृतिवाद से वे उस दिशा में मुड़े जो प्रखर सरलता और अभिव्यंजना की शुद्धता की ओर जाती थी। उन्होंने लगभग चालीस कृतियाँ रचीं जिनमें कविता, नाटक, निबंध और कथा-साहित्य सभी उल्लेखनीय हैं। इनमें से 1944 में लिखा द द्ववार्फ उपन्यास उनकी पहली कृति थी, जिसने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति दी, जबकि 1951 में लिखी बेशबास नामक कृति से भी उन्हें भरपूर प्रसिद्धि मिली। डिनी-डी-पॉरेन्तिस के द्वारा इस कृति पर बनी फिल्म से वे विश्व-विख्यात हो गये। अंग्रेजी में अनूदित उनकी अन्य कृतियाँ हैं-द इटरनल स्माइल एंड अदर स्टोरीज़ (1954), द सिबिल (1958), होली लैण्ड (1960), द डेथ ऑफ ऑसूरस (1962), और पिलग्रिम एट सी (1964)।

रमेश दवे (जन्मः 1952) हिंदी और अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक और आलोचक हैं। कोलकाता विश्वविद्यालय से वानिजय-स्नातक, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि तथा हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा। भारत के एक राष्ट्रीयकृत बैंक में 20 वर्षों तक प्रबंधक (राजभाषा) रहे। साहित्य संध्या व हिंदी निकेतन जैसी सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय सहभागिता।

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