Pawan Mathur
पवन माथुर (जन्म : 17 मई, 1951, दिल्ली में) हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि गिरिजा कुमार माथुर के सुपुत्र हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् कुछ समय के लिए रामजस महाविद्यालय में अध्यापन किया। उसके बाद प्रिंसटन विश्वविद्यालय, प्रिंसटन, संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च फ़ैलोशिप’ के अंतर्गत कुछ वर्षों तक शोध-कार्य में व्यस्त रहे। भारत लौटने पर आई.आई.टी. कानपुर में अध्यापन किया और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग में रीडर के पद पर कार्य किया। इसी विश्वविद्यालय से प्रोफ़ेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए। आपने अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में सहभागिता की।
पवन माथुर को कविता और साहित्य की संवेदना विरासत में मिली है। पिता गिरिजा कुमार माथुर और माँ शकुंत माथुर से बचपन में मिले काव्य-संस्कार का प्रतिफलन मुट्ठियों में बंद आकार (सहयोगी कविता-संकलन, 1971); समीकरण (सहयोगी कहानी-संग्रह, 1972); विचार कविता (सहयोगी कविता-संकलन, 1973); एक शब्द है मेरे पास (कविता-संग्रह, 2001) तथा शब्द-बीज (कविता, कहानी, आलोचना का सम्मिलित संग्रह, 2007) के रूप में सामने आया। शब्द-बीज पर आपको हिंदी अकादमी, दिल्ली का साहित्यिक कृति सम्मान प्राप्त हुआ। आपके आलेख, कविताएँ तथा समीक्षाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहे हैं। आपने रसायन शास्त्र से हट कर विज्ञान के अन्य क्षेत्रों-जैविकी, भाषा-विज्ञान और साहित्य के अंतर्संबंध पर सारगर्भित लेख लिखे और व्याख्यान भी दिए हैं।