Peter Rosei Hindi Translated Rama Pandey
रमा पाण्डेय
शिक्षा : एम.ए. इतिहास, राजस्थान विश्वविद्यालय।
फ़िल्म व टेलीविज़न डायरेक्शन-प्रोडक्शन में डिप्लोमा (अन्तरराष्ट्रीय स्कॉलरशिप पर) हॉलैंड से।
राजस्थान की पहली महिला मीडियाकर्मी, मंच, फ़िल्म, टेलीविज़न, दूरदर्शन और बी.बी.सी. लन्दन की एक जानी-मानी कलाकार, चर्चित फ़िल्म निर्देशिका और सशक्त लेखिका।
1978 में आपकी नियुक्ति दूरदर्शन के निर्माता पद पर हुई। 1982 में आपका चयन बी.बी.सी. लन्दन के लिए हुआ। सात साल तक अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में सफल कार्य करने के बाद रमा जी स्वदेश लौटीं और तब से आज तक फ़िल्म और टेलीविज़न के लिए प्रोडक्शन व निर्देशन का कार्य कर रही हैं। निर्देशन के लिए इनकी प्रोडक्शन कम्पनी ‘मोन्टाज़ फ़िल्मस’ को ‘राजा राममोहन राय’ व ‘कला श्री’ अवार्ड मिल चुके हैं। काव्य-संग्रह सुनो कहानी बेहद लोकप्रिय। इसका अनुवाद जर्मन और रोमानियन भाषा में। नाटक-संग्रह फ़ैसले जो मुस्लिम समाज की जागरूक महिलाओं को समर्पित सीरियल का हिस्सा है और अभी अपने द्वितीय संस्करण में है। इसी क्रम में दूसरी पुस्तक हिन्दी और उर्दू भाषा में बेगम, बानो और ख़ातून के नाम से प्रकाशित। पाँचवीं अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक फ्रांज काफ़्का के उपन्यास द ट्रायल और उसके जीवन पर आधारित नाटक गिरफ्तारी जिसके नाटकीय मंचनों ने धूम मचा दी। छठी पुस्तक लललन मिस एक हिजड़े की वास्तविक जीवन की कहानी को परिलक्षित करता नाटक वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित और सातवीं अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक है महानगर वियना जो पीटर रोसोई के उपन्यास वियना मेट्रोपोलिस का भावानुवाद है। रमा पाण्डेय भारत की इकलौती ऐसी लेखिका, निर्देशिका प्रस्तुतकर्ता हैं जो रंगमंच, साहित्य और फ़िल्म जगत् में अपने द्वारा लिखी हुई रचनाओं का ही अद्भुत प्रयोग करती रही हैं। स्वनिर्मित सभी फ़िल्मों हेतु कहानी-पटकथा लेखन।
पीटर रोसोई
पीटर रोसोई ऑस्ट्रिया के आधुनिक साहित्य के प्रसिद्ध लेखक हैं। वियना में 1946 में जन्मे पीटर रोसोई ऑस्ट्रिया के स्वतन्त्र उपन्यासकार लेखक बनने से पहले क़ानून की पढ़ाई कर चुके थे। एक स्वतन्त्र लेखक के रूप में वह ऑस्ट्रिया के जर्मन भाषाई सशक्त लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। वह 1970 के दशक से बार-बार लगातार सामाजिक विषमताओं पर अपने बेबाक लेखन के कारण जाने-माने जाते रहे हैं। युद्ध के बाद के वियना में अकेले रहकर उन्होंने इस उपन्यास की पृष्ठभूमि में ऑस्ट्रिया के जीवन को गहराई से खँगाला है, तभी तो उन्होंने लिखा- ‘‘वियना युद्ध में पायी खोखली विजय के मद में झूमता आत्माविहीन शरीरों का खाली ढाँचा है।’’