Prabhakar Machve
प्रभाकर माचवे
प्रभाकर माचवे का जन्म २६ दिसम्बर, १९१७ को ग्वालियर में हुआ। शिक्षा इन्दौर में एम० ए० (दर्शन), एम० ए० (अंग्रेजी साहित्य), पी० एच० डी०। इन्दौर मजदूर संघ में कार्य करते रहे तदुपरान्त माधव कालेज उज्जैन में प्राध्यापक रहे। आकाशवाणी की सेवा के सिलसिले में प्रयाग, दिल्ली, नागपुर केन्द्रों पर काम किया। नई दिल्ली में साहित्य अकादमी के सचिव रहे। माचवे का लेखन कविता, कहानी, उपन्यास निबन्ध, समीक्षा…कई विधाओं में फैला हुआ है। मराठी और अंग्रेजी में अनुवाद भी किए हैं। ‘तारमातक (१९४३) के कवियोंम थे। उसके बाद दो कविता संग्रह और प्रकाशित हुए ‘अनुक्षण’ (१९५९) और ‘मेपल (१९६६)। पहला निबन्ध-संग्रह ‘खरगोशके सींग’ १९५० में छपा था. दुसरा ‘बेरंग’ १९५५ में। समीक्षा-पुस्तकों का विवरण इस प्रकार है : व्यक्ति और वाङ्मय (१९५२): समीक्षा की समीक्षा) (१९५३): ‘सन्तुलन’ (१९५४), हिन्दी निबन्ध (१९५५): मराठी और उसका साहित्य (१९५६). ‘नाट्य-चर्चा’ (१९५७), हिन्दी साहित्य की कहानी” (१९५७)। उपन्यास ‘परन्तु’ (१९५१), ‘एक तारा ‘ (१९५२), ‘द्वाभा’ (१९५५), ‘साँचा’। एक कहानी-संग्रह भी है: ‘संगीनों का साया’ जो १९४३ में प्रकाशित हुआ था। इसके अलावा कुछ ग्रन्थों का सम्पादन भी किया है।