Priya Joshi

Priya Joshi

प्रिया जोशी

डॉ. प्रिया जोशी का नाम, भारतीय फ़िल्म संगीत की दुनिया में सुप्रिया जोशी की पहचान से विश्वविख्यात है। वह संगीत जगत की एक ऐसी गायिका हैं, जो न सिर्फ़ कोकिला कंठी हैं, बल्कि ये कहना उचित होगा कि उनकी आत्मा, संगीत साधना को समर्पित है। भगवान अपनी आत्मा के उस अन्तर्भाग अंश को, जो कला व संस्कृति का होता है, बिरले को ही प्रदान करता है। साथ-साथ उसे निर्देश-भी देता है कि इस कला का निर्वहन ठीक उसी तरह किया जाये जैसी उसको अपेक्षा है।

डॉ. जोशी इस विरासत को बखूबी निभाती हैं और बहुत स्वाभाविकता से मूल गीतिकाव्य को मधुर संगीत में परिवर्तित कर देती हैं। उनकी रूहानी आवाज़ में बँध कर गीतों को एक अमरत्व मिल जाता है। यह पुस्तक भी संगीत को अमरता प्रदान करने की उत्कृष्ट चेष्टा है।

अलीगढ़ में जन्मी डॉ. प्रिया जोशी ने प्रयाग संगीत विद्यालय, इलाहाबाद से शास्त्रीय संगीत (गायन) में स्नातक उपाधि प्राप्त की। इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, छत्तीसगढ़ से उन्होंने स्नातकोत्तर उपाधि ली और उसके पश्चात गूढ़ अनुसन्धान कर पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की।

उन्होंने संगीत की गुरु-शिष्य परम्परा का पालन करते हुए डॉ. टी. उन्‍नीकृष्णन, उस्ताद शम्सुद्दीन शेख, श्री कल्याण सिंह, श्री रवीन्द्र जैन, श्री सुरेश वाडकर जैसे विश्वप्रसिद्ध गुरुओं से संगीत की शिक्षा ग्रहण की।

ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमंस ने उन्हें ‘वॉएस ऑफ़ इंडिया’ के पुरस्कार से 2016 में सम्मानित किया है।

डॉ. प्रिया जोशी, इस चिरस्मरणीय शैक्षिक पुस्तक की लेखिका हैं, जिसमें उन्होंने हिन्दी फ़िल्म संगीत को उसके दिव्य रूप में प्रस्तुत किया है। संगीत की यात्रा, वेदों से प्रेरणा, रागों का अनुशासन, यहाँ बख़ूबी दर्शाया गया है। हिन्दी फ़िल्म संगीत को जब इस पालने में पाला गया तो उसे भावपूर्ण गुणवत्ता भी मिली और अमरता भी। यही डॉ. जोशी की अति उत्तम प्रस्तुति है।

हिन्दी फ़िल्म संगीत : सत्‌ वित्‌ आनन्द संगीत की सर्वश्रेष्ठ कहानी है, जो संगीत प्रेमियों की आने वाली पीढ़ियों द्वारा बहुत सराही जायेगी।

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