Priyasharan Agarwal
प्रियाशरण अग्रवाल
सन् 1932 में वृन्दावन के सेठ राधावल्लभ जी के परिवार में जन्म।
श्री अग्रवाल बचपन से ही कुशाग्र व पठन-पाठन में में मेधावी रहे। वृन्दावन में ही 12वीं तक की शिक्षा-दीक्षा।
तत्पश्चात् बम्बई में अपने व्यवसाय में सक्रिय हो गये। परन्तु पढ़ाई में रुचि होने के कारण व्यवसाय में संलग्न रहते हुए ‘साहित्य रत्न’ की उपाधि प्राप्त की। श्री अग्रवाल आजीवन शिक्षा के प्रति समर्पित रहे। विशेषकर बालिका शिक्षा पर अधिक ज़ोर देते थे। इसी परिप्रेक्ष्य में सन् 1971 में मथुरा में अपने पिता श्री राधावल्लभ जी एवं चाचा श्री चुन्नीलाल जी के नाम से ‘राधावल्लभ चुन्नीलाल अग्रवाल बालिका महाविद्यालय’ की स्थापना की।
श्री अग्रवाल ने काव्य विधा पर प्रचुर मात्रा में रचनाएँ की हैं। काव्य संकलन ‘निकुंजेश्वरी’ प्रकाशनाधीन है।
ब्रज भाषा में रचित नाट्य रचना ‘हरिवंश चरित्र’ का प्रथम संस्करण सन् 1980 में प्रकाशित हुआ। सन् 2000 में इस नाटक का नवीन संस्करण प्रकाशित हुआ। ‘सेवक चरित्र’, ‘श्री हितरहस्यचन्द्रिका’ आदि अन्य प्रकाशित कृतियाँ हैं। अब ‘कहा कहाँ इन नैनन की बात’ भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो कर आपके हाथों में है।
देहावसान: 2009।