Purushottam Agrawal
पुरुषोत्तम अग्रवाल
पुरुषोत्तम अग्रवाल ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से ‘कबीर की भक्ति का सामाजिक अर्थ’ विषय पर पी-एच.डी. की डिग्री प्राप्त की और रामजस कॉलेज, दिल्ली तथा जेएनयू में अध्यापन कार्य किया। ‘संस्कृति : वर्चस्व और प्रतिरोध’, ‘तीसरा रुख’, ‘विचार का अनंत’, ‘शिवदानसिंह चौहान’, ‘निज ब्रह्म विचार’, ‘कबीर : साखी और सबद’ पुस्तकों के लेखक तथा कई पुरस्कारों से सम्मानित।
भक्ति-संवेदना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सांस्कृतिक इतिहास से सम्बद्ध समस्याओं पर आयोजित गोष्ठियों और भाषणमालाओं के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, आयरलैंड, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की यात्राएँ कीं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और कॉलेज ऑफ मेक्सिको में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे।
अत्यंत प्रभावी वक्ता के रूप में विख्यात। ज्वलंत सामाजिक-सांस्कृतिक एवं राजनीतिक प्रश्नों के विषय में देश के अग्रणी टीवी चैनलों पर अपनी प्रखर और विचारोत्तेजक बातों, बहसों के लिए प्रख्यात।
एनसीईआरटी की हिन्दी पाठ्य-पुस्तक समिति के मुख्य सलाहकार रहे। भारतीय भाषा केन्द्र, जेएनयू के अध्यक्ष
पद पर भी रहे हैं और इस समय संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य हैं।
पुस्तक ‘अकथ कहानी प्रेम की : कबीर की कविता और उनका समय’ भक्ति-सम्बन्धी विमर्श में अनिवार्य ग्रन्थ का दर्जा हासिल कर चुकी है।
उनकी पिछले कुछ वर्षों में प्रकाशित कहानियाँ जीवंत और विचारोत्तेजक चर्चा के केंद्र में रही हैं, जिनमे शामिल हैं, ‘चेंग-चुई’, ‘चौराहे पर पुतला’, ‘पैरघंटी’, ‘पान पत्ते की गोठ’ और ‘उदासी का कोना’।
‘नकोहस’ उनका पहला उपन्यास है।