S Samuthira

S Samuthira

श्री एस. समुत्तिरम्‌ (1941-2003) का जन्म तमिळनाडु के तिप्पनमपट्टी गाँव में हुआ। अनाथ होने के कारण पढने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा। वे भारतीय सूचना सेवा में कार्यरत रहे। श्री एस. समुत्तिरम्‌ की लगभग तीन सौ कहानियाँ और चौदह उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से कई कृतियों को व्यापक स्वीकृति मिली है और वे तमिळनाडु सरकार द्वारा पुरस्कृत भी की जा चुकी हैं। उनकी कई रचनाएँ तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में हैं। हिन्दी के अलावा उनकी रचनाओं का दूसरी अन्य भारतीय भाषाओं जैसे तेलुगु और मलयालम्‌ में भी अनुवाद हो चुका है। श्री समुत्तिरम्‌ प्रेमचंद, तोलस्तोय, पुदुमैपित्तन्‌ और विंदन्‌ से प्रभावित थे। उन्होंने सामाजिक समस्याओं को गहरी प्रतिबद्धता और अनूठी समझ के साथ अपने लेखन में रूपायित किया। वे लेखन को सामान्य जन की आवाज प्रदान करने का माध्यम मानते थे जिसे यथार्थ जगत प्रायः कुचल देता है।

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