Salman Akhtar
सलमान अख़्तर
सलमान अख़्तर का जन्म 31 जुलाई, 1946 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने ए.एम.यू., अलीगढ़ से एम.बी.बी.एस. और पी.जी.आई.एम.ई.आर., चंडीगढ़ से एम.डी. (मनोचिकत्सा) करने के बाद अमेरिका में मनोचिकित्सा और मनोविश्लेषण का अध्ययन किया और प्रशिक्षण लिया। वे उर्दू और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में समान रूप से लिखते हैं। उनकी सभी उर्दू किताबें एक ही जिल्द में हिन्दी में भी लिप्यंतरित हैं।
उन्होंने मनोचिकित्सा व मनोविश्लेषण विषयक कई किताबों का लेखन तथा 89 किताबों का सम्पादन और सह-सम्पादन किया है। उनके 400 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हैं। प्रमुख कृतियाँ हैं—‘कू-ब-कू’, ‘दूसरा घर’, ‘नदी के पास’, ‘ग़ज़ल@इंग्लिशजंक्शन’, ‘सोच समझ’, ‘तीसरा शहर’, ‘बन्द गली का मकान’, ‘मीरनामा’, ‘देर रात का सूरज’ (उर्दू और हिन्दी); ‘The Hidden Knot’, ‘Conditions’, ‘Turned to Light’, ‘After Landing’, ‘Blood and Ink’, ‘Freshness of the Child’, ‘Symptoms of Belonging’, ‘This is What Happened’, ‘Keys and Caveats’ (अंग्रेज़ी)।
कई अन्तरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित सलमान फ़िलहाल जेफ़रसन मेडिकल कॉलेज, फ़िलाडेलफ़िया, अमेरिका में मनोचिकित्सक और मनोविश्लेषण के प्रोफ़ेसर तथा साइकोएनालिटिक सेंटर, फ़िलाडेलफ़िया के सुपरवाइज़िंग ट्रेनिंग एनालिस्ट हैं।
सम्पर्क : salman.akhtar@jefferson.edu