Sanvarmal Sanganoriya
सॉवरमल सांगानेरिया
पूर्वोत्तर भारत के एक राज्य, असम में रहने वाले लेखक डॉ. सॉवरमल सांगानेरिया एक अथक यायावर हैं। पूर्वोत्तर में, ब्रहमपुत्र के किनारे पैदा होने के नाते इनके लेखन में भी ब्रहमपुत्र-सी रवानगी भरी हुई है। ब्रहमपुत्र-सी ही प्रवाहपूर्ण और गतिमान यायावरी ने उनसे पूर्वोत्तर-यात्रा पर छह पुस्तकों का प्रणयन करवा लिया। ‘ब्रह्मपुत्र के किनारे-किनारे’ (भारतीय ज्ञानपीठ) तथा ‘अरुणोदय की धरती पर’ (अरुणाचल की यात्रा) लेखक की अन्य महत्वपूर्ण यात्रा पुस्तकें हैं। ‘लोहित के मानसपुत्र : शंकरदेव’ उनकी एक अन्य महत्वपूर्ण पुस्तक (2010 में प्रकाशित) है। सन् 2012 में जे.जे.टी. विश्वविद्यालय द्वारा मानद डी.लिट् की उपाधि प्राप्त डॉ. सांगानेरिया हिंदी के अलावा असमिया, बॉग्ला और अंग्रेजी भाषाओं के भी जानकार हैं। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा से ‘कोविद’ की उपाधि प्राप्त लेखक को पुरस्कार-सम्मान प्राप्त हैं जिनमें हाल ही (2019) में महाराष्ट्र सरकार का ‘सोने गुरुजी राष्ट्रीय जीवन गौरव पुरस्कार’ भी शामिल है। लेखक की लगभग 20 वर्षों की लेखन-यात्रा में प्रस्तुत पुस्तक ‘मेघों के देस में’ उनकी सातवीं पुस्तक है। कुछ वर्ष मुबंई में रहे, संप्रति, गुवाहटी में रहकर स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।