Shriprakash Mishra

Shriprakash Mishra

श्रीप्रकाश मिश्र

जन्म – 1 सितम्बर 1950।

श्रीप्रकाश मिश्रके अब तक पाँच कविता संग्रह : मौन पर शब्द (1986), शब्द के बारीक तारों से (2009), शब्द संभावनाएँ है (2012), मिअमाड़ (2015), कि जैसे होना खतरनाक संकेत (2017), चार उपन्यास : जहाँ बांस फूलते हैं (1996), रूपतिल्ली की कथा (2006), जो भुला दिये गये (2013), आपरेशन खुदाबख्श (2015), चार आलोचना की पुस्तकें : यह जो आ रहा है हरा (1992), यूरोप के आधुनिक कवि (2011), चुग की नब्ज (2012), रचना का सच (2013) के अलावा चिन्तन की दो पुस्तकें : सोच की दृग छाया (2017) और उत्तर आधुनिक अवधारणाएं (2018) प्रकाशित है।

ग्राम जड़हा जिला कुशीनगर (उ.प्र.) के निवासी श्रीप्रकाश मिश्र एम.ए. (राजनीति शास्त्र) और एल-एल.एम हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। विद्यार्थी जीवन में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। बांग्ला देश की आजादी की लडाई में मुक्तिवाहिनी के साथ रहे। केन्द्र सरकार की सेवा में रहते हुए उत्तर-पूर्व, कश्मीर, भूटान, बांग्ला देश आदि में रहे। अब इलाहाबाद में रहते हैं और कविता की अनियतकालीन पत्रिका ‘उन्नयन’ का संपादन/प्रकाशन करते है। रामविलास शर्मा सम्मान के संस्थापक व पुरस्कर्ता है।

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