Tarak Nath Bali
तारक नाथ बाली
हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ समीक्षक डॉ. तारक नाथ बाली का जन्म 17 नवम्बर 1933 को रावलपिंडी में हुआ। आरम्भिक शिक्षा डैनीज हाई स्कूल में हुई। 1947 में देश के विभाजन के समय आगरा आये। डॉ. बाली ने सन् 1955 में आगरा कॉलिज, आगरा में अध्यापन कार्य आरम्भ किया। सन् ’57 में किरोड़ीमल कॉलिज, दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक के रूप में आये तथा दो वर्ष के अन्तराल के अतिरिक्त सन् ’71 तक वहीं रहे। इन दो वर्षों में-1959-1961 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर सांध्य-संस्थान में हिन्दी विभाग में प्राध्यापक नियुक्त हुए जहाँ हिन्दी की सांध्य-स्नातकोत्तर कक्षाओं के अध्यापन की स्थापना और संयोजन में योग दिया। सन् 1971 में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के रीडर नियुक्त हए तथा वहीं सन् 1983 में प्रोफ़ेसर हए। सन् 1985-86 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोनीत किया। इसके बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष तथा कलासंकाय के अधिष्ठाता रहे। आधुनिक हिन्दी काव्य तथा भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र अध्ययन के विशेष क्षेत्र हैं।
‘रस-सिद्धान्त की दार्शनिक एवं नैतिक व्याख्या’ (1962) शोध-प्रबन्ध से हिन्दी के रस-विवेचन में एक नयी समीक्षा-धारा का सत्रपात हुआ तथा परवर्ती रस-विवेचन पर उसका गहरा प्रभाव पड़ा। आपके अन्य प्रमुख प्रकाशित आलोचना ग्रन्थ हैं : आलोचना : प्रकृति और परिवेश, साधारणीकरण, संप्रेषण और प्रतिबद्धता सांस्कृतिक परम्परा और साहित्य यगद्रष्टा कबीर महादेवी वर्मा, पन्त और उत्तर छायावाद और कामायनी।