Uroob translated Sudhanhsu Chaturvedi

Uroob translated Sudhanhsu Chaturvedi

उरूब (1915-1979) मलयालम्‌ के प्रख्यात साहित्यकार थे। उनका मूल नाम पी.सी. कुट्टिकृष्णन था। उन्होंने लंबे समय तक आकाशवाणी केंद्र, कोषिकोड में काम किया। बाद में कुंकुमं नामक मलयालम्‌ पत्रिका के संपादक रहे तथा मंगलोदयम्‌ एवं मलयालम् मनोरमा नामक पत्रिकाओं का भी संपादन किया। वे केरल साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष भी रहे। उनकी प्रकाशित कृतियों में 10 उपन्यास, 26 कहानी-संग्रह, 3 कविता-संग्रह, 3 नाटक, 3 निबंध-संग्रह तथा बालसाहित्य की 3 पुस्तकें शामिल हैं। उन्होंने आठ फिल्मों के लिए पटकथा लेखन भी किया। उन्हें सर्वश्रेष्ठ पटकथा-लेखन के लिए केरल राज्य फिल्म पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ प्रादेशिक फिल्म के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा रजत पदक, राज्य सरकार का पुरस्कार (तीन बार), एम. पी. पॉल पुरस्कार, आशान जन्मशती पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार-सम्मानों से विभूषित किया गया।

सुधांशु चतुर्वेदी (1943) हिंदी, मलयालम्, संस्कृत और अंग्रेज़ी के विशिष्ट विद्वान एवं यशस्वी लेखक हैं। आपने श्रीकेरलवर्मा कॉलेज में 33 वर्षों तक प्राध्यापक, आचार्य एवं प्राचार्य पदों का सक्षमता से निर्वाह किया। अनेक मंत्रालयों, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थानों एवं समितियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्य रहे। हिंदी, संस्कृत, मलयालम्‌ और अंग्रेज़ी में (मौलिक एवं अनूदित) आपकी डेढ़ सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। आपको साहित्य अकादेमी, केरल साहित्य अकादमी, भारतीय बाल शिक्षा परिषद्‌, राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय परिषद्‌, उ.प्र. हिंदी संस्थान, भारतीय अनुवाद परिषद्‌, केरल सरकार, ग्लोबल एसेंबली ऑफ़ एजुकेटर्स, इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ़ एजुकेटर्स फ़ॉर वर्ल्ड पीस आदि संस्थाओं द्वारा तीन दर्ज़न से अधिक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हैं। संप्रति आप वेदव्यास प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान के प्रबंध-न्यासी एवं अध्यक्ष तथा नेशनल  लिटरेरी एकेडेमी के निदेशक के रूप में सक्रिय हैं।

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