Vijay Tendulkar
विजय तेन्दुलकर
जन्म – 6 जनवरी, 1928
निधन – 19 मई, 2008
जन्म 6 जनवरी, 1928। मराठी के आधुनिक नाटककारों में शीर्षस्थ विजय तेन्दुलकर अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिष्ठित एक महत्त्वपूर्ण नाटककार हैं। 50 से अधिक नाटकों के रचयिता तेन्दुलकर ने अपने कथ्य और शिल्प की नवीनता से निर्देशकों और दर्शकों, दोनों को बराबर आकर्षित किया। पूरे देश में उनके नाटकों के अनुवाद एवं मंचन हो चुके हैं। हिन्दी में उनके 30 से अधिक नाटक खेले जा चुके हैं।
‘खामोश ! अदालत जारी है’, ‘घासीराम कोतवाल’, ‘सखाराम बाइंडर’, ‘जाति ही पूछो साधु की’ और ‘गिद्ध’ आदि बहुचर्चित-बहुमंचित नाटकों के अलावा उनकी प्रमुख नाट्य रचनाएँ हैं: ‘अंजी’, ‘अमीर’, ‘कन्यादान’, ‘कमला’, ‘चार दिन’, ‘नया आदमी’, ‘बेबी’, ‘मीता की कहानी’, ‘राजा माँगे पसीना’, ‘सफ़र’, ‘नया आदमी’, ‘हत्तेरी किस्मत’, ‘आह’, ‘दंभद्वीप’, ‘पंछी ऐसे आते हैं’, ‘काग विद्यालय’, ‘काग़ज़ी कारतूस’, ‘नोटिस’, ‘पटेल की बेटी का ब्याह’, ‘पसीना-पसीना’, ‘महंगासुर का वध’, ‘मैं जीता मैं हारा’, ‘कुत्ते’, ‘श्रीमंत’ आदि।
विजय तेन्दुलकर के नाटकों में मानव जीवन की विषमताओं, स्वाभाविक व अस्वाभाविक यौन सम्बन्धों, जातिगत भेदभाव और हिंसा का यथार्थ चित्रण मिलता है। उनके अधिकांश पात्र मध्यम एवं निम्न मध्यमवर्ग के होते हैं और उनके विभिन्न रंग इन नाटकों में आते हैं।