Vyomesh Shukla

Vyomesh Shukla

व्योमेश शुक्ल

25 जून, 1980; वाराणसी में जन्म। यहीं बचपन और एम.ए. तक पढ़ाई। शहर के जीवन, अतीत, भूगोल और दिक़्क़तों पर एकाग्र निबन्धों और प्रतिक्रियाओं के साथ लिखने की शुरुआत। व्योमेश ने इराक़ पर हुई अमेरिकी ज़्यादतियों के बारे में मशहूर अमेरिकी पत्रकार इलियट वाइनबर्गर की किताब व्हाट आई हर्ड अबाउट ईराक़ का हिन्दी अनुवाद किया, जिसे हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिका पहल ने एक पुस्तिका के तौर पर प्रकाशित किया है। व्योमेश ने विश्व-साहित्य से नॉम चोमस्की, हार्वर्ड ज़िन, रेमंड विलियम्स, टेरी इगल्टन, एडवर्ड सईद और भारतीय वाङ्मय से महाश्वेता देवी और के. सच्चिदानंदन के लेखन का भी अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद किया है।

व्योमेश शुक्ल का पहला कविता-संग्रह 2009 में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ, जिसका नाम है फिर भी कुछ लोग। कविताओं के लिए 2008 में अंकुर मिश्र स्मृति पुरस्कारऔर 2009 में भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार। आलोचनात्मक लेखन के लिए 2011 में रज़ा फाउंडेशन फ़ेलोशिपऔर संस्कृति-कर्म के लिए भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का जनकल्याण सम्मानमिला है। नाटकों के निर्देशन के लिए इन्हें संगीत नाटक अकादेमी का उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ युवा पुरस्कारदिया गया है।

व्योमेश की कविताओं के अनुवाद विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ-साथ कुछ विदेशी भाषाओं में हुए हैं। अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने अपने एक सर्वेक्षण में इन्हें देश के दस श्रेष्ठ लेखकों में शामिल किया है तो हिन्दी साप्ताहिक इंडिया टुडे ने भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक दृश्यालेख में परिवर्तन करनेवाली पैंतीस शख़्सियतों में जगह दी है।

लेखन के साथ-साथ व्योमेश बनारस में रहकर रूपवाणी नामक एक रंगसमूह का संचालन करते हैं।

काजल लगाना भूलनाउनका दूसरा कविता-संग्रह है।

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