Zabir Hussain
जाबिर हुसेन
अंग्रेज़ी भाषा एवं साहित्य के प्राध्यापक रहे। जेपी तहरीक में बेहद सक्रिय भूमिका निभाई। 1977 में मुंगेर से बिहार विधान सभा के लिए चुने गए। काबीना मंत्री बने। बिहार अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे।
बिहार विधान परिषद् के सभापति रहे। राज्य सभा के सदस्य रहे। हिन्दी-उर्दू में दो दर्जन से ज़्यादा किताबें प्रकाशित। उर्दू-फारसी की लगभग 50 पांडुलिपियों का सम्पादन। उर्दू-हिन्दी की कई पत्रिकाओं का सम्पादन।
रचनाएँ : रेत से आगे, चाक पर रेत, ये शहर लगै मोहे बन (हिंदी-उर्दू), डोला बीबी का मज़ार, रेत पर खेमा, ज़िन्दा होने का सबूत, लोगां, जो आगे हैं, अतीत का चेहरा, आलोम लाजावा, ध्वनिमत काफी नहीं, दो चेहरों वाली एक नदी; कविता : कातर आँखों ने देखा, रेत-रेत लहू, एक नदी रेत भरी, उर्दू : अंगारे और हथेलियाँ, सुन ऐ कातिब, बे-अमां, बिहार की पसमांदा मुस्लिम आबादियाँ।
सम्पादन : छह जिल्दों में बहार हुसेनाबादी का सम्पूर्ण साहित्य, मेरा सफ़र तवील है : अखतर पयामी, दीवारे शब, दयारे शब, हिसारे शब, निगारे शब (उर्दूनामा के अंक)।
सम्मान : 2005 में उर्दू कथा-डायरी रेत पर खेमा के लिए साहित्य अकादेमी सम्मान। 2012 में नवें विश्व हिन्दी सम्मेलन (जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका) में विश्व हिन्दी सम्मान।
सम्पर्क : 247 एमआईजी, लोहियानगर, पटना – 800020