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Description
आधुनिकता, भूमंडलीकरण और अस्मिता
आधुनिकता, भूमंडलीकरण और अस्मिता के बारे में पहले ही काफी कुछ लिखा जा चुका है। लेकिन यह पुस्तक कई मायने में अलग है। इसकी चिंतनशीलता, इसके द्वारा उठाए गए सामाजिक-नैतिक प्रश्न और जिस ढंग से यह हमें हमारे अपने संदेह और जीवन के अनुभवों का सामना करने में सक्षम बनाती है, इसकी खासियत है। इसमें समकालीन समाजशास्त्रीय साहित्य और सृजनात्मक कल्पनाशीलता के विभिन्न स्रोतों का उपयोग किया गया है। यह हमारे अपने सामाजिक यथार्थ की विशिष्टता-भारतीय आधुनिकता की दिशा और अस्मिता की राजनीति-के द्वंद्व के प्रति काफी संवेदनशील है।
अपनी तर्कपरक शैली से यह मानवीय आधुनिकता की वकालत करती है और असमान भूमंडलीकरण के विरूद्ध प्रतिरोध की व्यापक कला की संभावना का विश्लेषण करती है तथा अपेक्षाकृत अधिक खुले और संवादपरक समाज के निर्माण के लिए प्रयास करती है जो विभाजित अस्मिताओं से बाहर निकलने के लिए प्रेरित करता है। यह पुस्तक समाजशास्त्रियों, समाजसेवियों और उन सभी के लिए उपयोगी है जो आलोचनात्मकता और चिंतनशीलता को महत्व देते हैं।
अनुक्रम
प्रस्तावना
- एक और आधुनिकता की संभावना
- आधुनिकता के प्रमुख मूल्य
- आधुनिकता का दूसरा पक्ष : अहंकार का बोझ
- अस्तित्वमूलक आक्रोष और अप्रसन्न चेतना
- भारतीय आधुनिकता का जटिल प्रक्षेप पथ
- संभावनाओं की दुनिया
- सांस्कृतिक भूमंडलीकरण के युग में प्रतिरोध की कला
- संस्कृति क्यों ?
- सांस्कृतिक भूमंडलीकरण की बारीकियां
- विस्तारित क्षितिज : एक नई संभावना
- विखंडित वैश्विक संस्कृति : असमानता और असंतोष
- सांस्कृतिक आक्रोश और दिग्भ्रमित विद्रोह
- प्रतिरोध की कला : समरूप भूमंडलीकरण की दिशा में
- सीमित अस्मिताओं से परे समावेशी संसार के लिए प्रयास
- अस्मिताओं का जटिल क्षेत्र क्षेत्र
- वर्गीकरण और द्वंद्व
- अस्मिता की राजनीति का तर्क
- विभेदों के पार देखना
उपसंहार
संदर्भ
अनुक्रमणिका
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Language | Hindi |
Publishing Year | 2013 |
Pulisher |
Reviews
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