Aag Har Cheej Mein Bataye Gayi Thi

-22%

Aag Har Cheej Mein Bataye Gayi Thi

Aag Har Cheej Mein Bataye Gayi Thi

450.00 350.00

In stock

450.00 350.00

Author: Chandrakant Devtale

Availability: 10 in stock

Pages: 134

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126713288

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

आग हर चीज़ में बताई गई थी

‘आग हर चीज़ में बताई गई थी’ चन्द्रकांत देवताले की कविताओं का एक ऐसा संग्रह है जिसकी कविताओं में प्रयुक्त शब्द, कठिन दुनिया को भाषा में खोलते और रचते हुए निरन्तर एक प्रश्न अपने आप से भी करते हैं कि एक हिंसक और मनुष्य विरोधी समाज में कविता कौन सा मिथ रच सकती है। ‘आग हर चीज़ में बताई गई थी’ में संकलित कविताएँ दुनिया का भयावह किन्तु चमकदार काव्यभाष्य प्रस्तुत करती हैं। ये कविताएँ अपने समय की व्याख्या भी करती हैं और पहले लिखी गई कविताओं की परम्परा में शामिल भी होती हैं। यह चन्द्रकांत देवताले की फनकारी और भाषा कौशल का कमाल ही है कि उस संग्रह की कविताओं में बीसवीं सदी के अन्तिम वर्षों में आन्दोलित होती दुनिया में मनुष्य की स्थिति, उसकी पीड़ा और व्यथा का अक्स समग्रता में बिम्बित हुआ है।

संग्रह की कविताएँ शब्दों की पवित्रता के बारे में विचार करती हैं और हमारे समय के अनेक मिथकों को तोड़ती भी हैं। इन कविताओं में विकट और दारुण सच्चाइयों की अवमानना के बजाय उनसे एक चुनौतीपूर्ण सम्बन्ध बनता है जहाँ वर्तमान समय के अँधेरे अन्तरंग कोनों को प्रकाशित होते हुए देखा जा सकता है। चन्द्रकांत देवताले इन कविताओं में किसी अन्तिम सत्य की कामना से दृश्य-यथार्थ के जटिल और अपरिहार्य ब्योरों को झूठ मानकर त्यागते नहीं, बल्कि उनका एक विलक्षण और अनिवार्य काव्य-नाटकीय रूपान्तर करते हैं जिससे ‘आग हर चीज़ में बताई गई थी’ की कविताएँ झूठे बिम्बों में ख़र्च नहीं होतीं, बल्कि अपने समय की सच्चाइयों को एक सम्पूर्णता में प्रतिबिम्बित करती हैं।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Aag Har Cheej Mein Bataye Gayi Thi”

You've just added this product to the cart: