Aakhiri Pahar Ki Dastak

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Aakhiri Pahar Ki Dastak

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200.00 140.00

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200.00 140.00

Author: Shamim Hanfi

Availability: 5 in stock

Pages: 148

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789392228841

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

आखिरी पहर की दस्तक

शमीम हनफ़ी की हिन्दी में कीर्ति एक विद्वान आलोचक की है जो उर्दू के अलावा हिन्दी साहित्य भी समझ और संवेदनशीलता के साथ पढ़ता-गुनता रहा है। हममें से बहुत कम को पता था कि उन्‍होंने बड़ी संख्या में ग़ज़लें भी कही हैं। मुझे ख़ुद इसका पता तब चला जब उनका ग़ज़ल-संग्रह रेख़्ता फ़ाउण्डेशन ने प्रकाशित किया और उसके लोकार्पण के अवसर पर आयोजित एक महफ़िल में जामिया मिलिया इस्लामिया में मुझे शिरकत करने का अवसर मिला। कहना न होगा कि यह प्रीतिकर अचरज का अवसर था।

ग़ज़ल की जो लम्बी और अत्यन्त समृद्ध परम्परा उर्दू में है और आधुनिकता के सारे दबावों के बावजूद आज तक सक्रिय है, उससे शमीम हनफ़ी पूरी तरह तदात्म थे। वे उसकी, हमारे समय में, सीमाओं और सम्भावनाओं दोनों के प्रति सचेत थे। उनकी काव्य-रचना की दुनिया में परम्परा की लगातार अन्तर्ध्वनियाँ हैं और नयी रंगतें भी। यह दुनिया याद करती, याद रखती और याद दिलाती दुनिया है। लेकिन साथ-साथ वह हमारे समय की शान्त और विनम्र गवाही भी है। कविता की सीमाओं का तीख़ा अहसास भी उनके यहाँ है : ‘अपनी बिसात क्या है फ़क़त लफ़्ज्ञ लफ़्ज़ लफ़्ज्/ माना कि जिन्दगी में बड़ा नाम कर गये।’ अप्रत्याशित का रमणीय भी वे बख़ूबी साधते हैं : ‘बस्तियाँ छोड़कर जाने वाले भी इक दास्ताँ बन गये/ ऐ ज़मीं तेरी चाहत में हम एक दिन आस्माँ बन गये।’

शमीम हनफ़ी के हाल में हुए देहावसान के बाद उनकी कृति ‘आख़िरी पहर की दस्तक’ का हिन्दी में प्रकाशन हिन्दी की ओर से इस सजग बन्धु को प्रणति है। वे, उनके ही शब्दों को उधार लेकर कहें, हमें कहते जान पड़ रहे हैं : ‘तू दूर है तो ज़रा देर तक पुकार मुझे।’

– अशोक वाजपेयी

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Paperback

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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