Aalochintana Ko Hone Do Kendra-Apsari
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Description
आलोचिंतना को होने दो केंद्र-अपसारी
साहित्यिक ‘आलोचना’ में भाव- लंकार-रस होते हैं। सो, इस पुस्तक में तेज कदम बढ़ाते हुए ‘चिंतन-धुरी’ पर वैज्ञानिक संदर्भ से ‘सामाजिक विज्ञानों’ को धुरी बनाया गया है। इसी का नया नाम-रूप-गुण-चिंतन-ज्ञान युक्त ‘आलोचिंतना’ है।
अतः साहित्य अब सामाज-विज्ञानों एवं वैज्ञानिक मनस्तत्त्व पर भी आधारित होगा।
इस वजह से इसमें साहित्य समग्र-संस्कृति का भी उपांग हो गया है। वह ऐसी डोर है जो समाज तथा इतिहास की गुणज्ञानवत्ता को संश्लिष्ट करता है।
पुस्तक में नवोन्मेषी विकल्पों से किंचित इतर हो गया है जो नई दिशा-दशा खोजता अथवा गढ़ता है। सो ‘मुनासिब कार्यवाही’ ऐसी हो रही है।
इसलिए नये चिंतन-संदर्भ, अभिनव संज्ञान क्षेत्र खोजे गए हैं जो रूढ़ से हटकर वैयक्ति-वैचारिक सूझबूझ को भी मुनासिब सबूत बना सकती है।
इस साझेदारी में सामाज विज्ञानों की अभिनव पद्धतियाँ, वैज्ञानिक तर्कबोध का इस्तेमाल करके ‘मुनासिब’ बनाने की आलोचिंतनात्मक पहल की गई है। हाँ, नये विषयक्षेत्र तथा पोक्तियाँ भी चुनी गई हैं-दृश्य कलाएँ, सौंदर्यबोध, मिथक-आलेखकारी, देहभाषा तथा पश्चिमी-ऐशियाई भव्यताएँ भी मंत्रमुग्ध करेंगी।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
Reviews
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