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Description
आप-बीती
इन सफों का वही अर्थ है जो चित्रित सतह का है। यदि मेरे चित्रों में छिपने की कोई जगह होती, तो मैं उसमे सरक जाता….या शायद वे मेरे किसी चरित्र के पीछे चिपके होते या ‘संगीतकार’ के पाजामे के पीच्य्हे होते जिसे मैंने अपने म्यूरल में चित्रित किया है ?…. कौन जानता कि पीठ पर क्या लिखा है ? आर. एस. एफ. एस. आर. के समय में। मैं चाहकर चिल्लाता : हमारे बिजली के मचान हमारे पैरों तले सरक रहे हैं , क्या तुम महसूस कर सकते हो ? और क्या हमारी सुघतय कला में पूर्व चेतावनी नहीं थी, हालांकि हम लोग वास्तव में हवा में हैं और एक ही रोग से ग्रस्त, स्थायित्व के लिए लालायित। वे पांच साल मेरी आत्मा मथते हैं। मैं दुबला हो चूका हूँ। मैं भूखा भी हूँ। मैं तुम्हे देखना चाहता हूँ फिर से, बी…सी…पी…मैं थक चूका हूँ। मुझे अपनी पत्नी और बेटी के साथ आना चाहिए। मुझे तुम्हारे नजदीक आकर लेटना चाहिए। और, शायद, यूरोप मुझसे प्रेम करे, उसके साथ, मेरा रूस।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2010 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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