- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
अधिकार : महासमर-2
‘अधिकार’ की कहानी हस्तिनापुर में पांडवों के शैशव से आरम्भ हो कर वारणावत के अग्निकांड पर जा कर समाप्त होती है। वस्तुतः यह खंड अधिकारों की व्याख्या, अधिकारों के लिए हस्तिनापुर में निरंतर होने वाले षड्यंत्र, अधिकार को प्राप्त करने की तैयारी तथा संघर्ष की कथा है।
प्रख्यात कथाओं का पुनर्सृजन उन कथाओं का संशोधन अथवा पुनर्लेखन नहीं होता वह उनका युग सापेक्ष अनुकूलन मात्र भी नहीं होता। पीपल के बीज से उत्पन्न प्रत्येक वृक्ष पीपल होते हुए भी, स्वयं में एक स्वतंत्र अस्तित्व होता है, वह न किसी का अनुसरण है, न किसी का नया संस्करण। मौलिक उपन्यास का भी यही सत्य है। मानवता के शाश्वत प्रश्नों का साक्षात्कार लेखक अपने गली मुहल्ले, नगर देश, समाचार-पत्रों तथा समकालीन इतिहास में आबद्ध होकर भी करता है, और मानव सभ्यता तथा संस्कृति की सम्पूर्ण जातीय स्मृति के सम्मुख बैठकर भी। पौराणिक उपन्यासकार के ‘प्राचीन’ में घिरकर प्रगति के प्रति अंधे हो जाने की संभावना उतनी ही घातक है, जितनी समकालीन लेखक की समसामयिक पत्रकारिता में बंदी हो एक खण्ड सत्य को पूर्ण सत्य मानने की मूढ़ता। सृजक साहित्यकार का सत्य अपने काल-खण्ड का अंग होते हुए भी, खंडों के अतिक्रमण का लक्ष्य लेकर चलता है। नरेन्द्र कोहली का नया उपन्यास है ‘महासमर’ घटनाएँ तथा पात्र महाभारत से संबद्ध हैं, किन्तु यह कृति का एक उपन्यास है – आज के एक लेखक का मौलिक सृजन।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.