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Description
ऐ मेरे रहनुमा
तसनीम ख़ान की अनुशंसित कृति ‘मेरे रहनुमा’ प्रकाशित करते हुए सन्तोष का अनुभव हो रहा है। भारत ही नहीं विश्व की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करनेवाले स्त्री स्वर का यथार्थ इस उपन्यास की केन्द्रीय भावभूमि है। विशेषकर अल्पसंख्यक समाजों में मुस्लिम स्त्री जीवन की आज़ादी के गम्भीर सवालों को उजागर करता यह उपन्यास सदियों से चलती आ रही पितृसत्तात्मक संरचनाओं का तटस्थ मूल्यांकन करता है। इस कथा में आधुनिक स्त्री के जीवन के अँधेरों को भी बखूबी चित्रित किया गया है। इन अँधेरों से निकलने की छटपटाहट और प्रतिरोध की अभिव्यक्ति उपन्यास की महत्त्वपूर्ण बनाती हैं।
इधर जबकि उपन्यास का कथ्य तफसीलों और आँकड़ों से कुछ बोझिल होकर आलोचना के दायरे में है तब तसनीम ख़ान का यह उपन्यास अपनी भाषा की ताज़गी और सहज रवानी के कारण पाठ के सुख से आनन्दित करता है। लेखिका ने छोटे-छोटे वाक्य और संवादों की स्फूर्ति से उपन्यास को सायास निॢमत के दबाव से मुक्त कर स्त्री अस्मिता के प्रश्न को सहज रूप में प्रस्तुत किया है। उम्मीद है पाठक को यह उपन्यास अपने समाज का ही आत्मीय परिसर लगेगा।
Additional information
Binding | Hardbound |
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Authors | |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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