Agin Pathar

-25%

Agin Pathar

Agin Pathar

395.00 295.00

In stock

395.00 295.00

Author: Vyas Mishra

Availability: 5 in stock

Pages: 407

Year: 2007

Binding: Hardbound

ISBN: 8126712732

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अगिन पाथर
आज़ादी के साथ ही हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता का जो जख़्म देश के दिल में घर कर गया वो समय के साथ मिटने की बजाय रह-रहकर टीसता रहता है। इसे सींचते हैं दोनों सम्प्रदाय के तथाकथित रहनुमा। अफवाहों, भ्रान्तियों को हवा देकर साम्प्रदायिकता की आग भड़काई जाती है और उस पर सेंकी जाती है स्वार्थ की रोटी। चन्द गुण्डे-माफिया अपनी मर्जी से हालात को मनचाही दिशा में भेड़ की तरह मोड़ देते हैं और व्यवस्था अपने चुनावी समीकरण पर विचार करती हुई राजनीति का खेल खेलती है। प्रशासन को पता भी नहीं होता और बड़ी से बड़ी दुर्घटना हो जाती है। कानून के कारिन्दे सत्ता की कुर्सी पर बैठे राजनैतिक नेताओं की कठपुतली बने रहते हैं। अपने को जनपक्षधर बतानेवाला लोकतंत्र का चौथा खंभा भी बाज़ार की माँग के अनुसार अपनी भूमिका निर्धारित करता है।

प्रिंट ऑर्डर बढ़ाने के चक्कर में संपादकीय नीति रातोंरात बदल जाती है और अखबार किसी खास संप्रदाय के भोंपू में तब्दील हो जाता है। साम्प्रदायिकता के इसी मंज़रनामे को बड़ी ही संवेदनशील भाषा में चित्रित करता है यह उपन्यास ‘अगिन पाथर’। मगर इस चिंताजनक हालात में भी रामभज, अरशद आलम, चट्टोपाध्याय, हरिभाई चावड़ा, इला और शांतनु जैसे आम लोग जो मानवीयता की लौ को बुझने नहीं देते।

‘अगिन पाथर’ व्यास मिश्र का पहला उपन्यास है, मगर इसकी शिल्प-कौशल और भाषा प्रवाह इतना सधा और परिमार्जित है कि पाठक इसे एक बैठक में ही पढ़ना चाहेंगे।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2007

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Agin Pathar”

You've just added this product to the cart: