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Description
अग्नि पुराण की महिमा
जिनके घर में लिखा हुआ अग्निपुराण विद्यमान रहता है वहाँ सदैव उपद्रव नष्ट हो जाते हैं। जो मनुष्य प्रतिदिन अग्निपुराण सुनते हैं उनके लिए तीर्थों से क्या, गोदानों से क्या, यज्ञों से क्या और उपवासों से क्या ? एक प्रस्थ तिल तथा एक माशा सोना देने से वही फल प्रास होता है जो फल अग्निपुराण का एक श्लोक सुनने से प्राप्त होता है।
अग्निपुराण के एक अध्याय का पाठ गोदान से भी बढ़कर होता है। इसके सुनने की इच्छा मात्र से ही रात-दिन के पापों का नाश हो जाता है। धर्म दो प्रकार का होता है-प्रवृत्त और निवृत्त। उन दोनों प्रकार के धर्मों की समता अग्निपुराण से नहीं की जा सकती है। हे वशिष्ठ ! अग्निपुराण का पाठ और श्रवण करने वाला सभी पापों से मुक्त हो जाता है। जिस घर में अग्निपुराण की पुस्तक होती है उस घर में न तो गर्भपात का भय होता है, न बालकों को सताने वाले ग्रह होते हैं और न वहाँ पिशाचादि का भय रहता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन अग्निपुराण पढ़ता और सुनता है वह समदर्शी और विष्णुप्रिय हो जाता है। जहाँ अग्निपुराण रहता है वहाँ सभी उपद्रव नष्ट हो जाते हैं । हेमन्त ऋतु में अग्निपुराण का पाठ और श्रवण करने से मनुष्य को यज्ञ से भी महान् फल प्राप्त होता है। सुगन्धित पदार्थों और पुष्प इत्यादि से शिशिर ऋतु में भगवान् कृष्ण का पूजन करने से अग्निष्टोम का फल प्राप्त होता है तथा बसन्त ऋतु में ऐसा करने से अश्वमेध का फल प्राप्त होता है। ग्रीष्म ऋतु में ऐसा करने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है और वर्षा ऋतु में इसके करने से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
शरद् ऋतु में इस अग्निपुराण का पाठ करने वाले को एक हजार गायें प्राप्त होती हैं। जो व्यक्ति भक्ति पूर्वक भगवान् विष्णु के सम्मुख अग्निपुराण का पाठ करता है, हे वशिष्ठ ! वह तो ज्ञानयज्ञ के द्वारा भगवान् कृष्ण की ही पूजा करता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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