Agniparva : Shantiniketan

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Agniparva : Shantiniketan

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Author: Roza Haznoshi Gaermanoos

Availability: 5 in stock

Pages: 620

Year: 2013

Binding: Paperback

ISBN: 9788126725090

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अग्निपर्व : शान्तिनिकेतन

अग्निपर्व : शान्तिनिकेतन यह कृति हंगेरियन गृहवधू रोज़ा हजनोशी गेरमानूस की उनके शान्तिनिकेतन प्रवास-काल अप्रैल 1929 से जनवरी 1932 की एक अनोखी डायरी है। इसमें शान्तिनिकेतन जीवन काल की सूक्ष्म दैनन्दिनी, वहाँ के भवन, छात्रावास, बाग़-बगीचे, पेड़-पौधे, चारों ओर फैले मैदान, संताल गाँवों का परिवेश, छात्रों और अध्यापकों के साथ बस्ती के जीवित चित्र और चरित्र, लेखिका की क़लम के जादू से आँखों के सामने जीते-जागते, चलते-फिरते नज़र आते हैं। पाठक एक बार फिर विश्वभारती शान्तिनिकेतन के गौरवपूर्ण दिनों में लौट जाएँगे, जब रवीन्द्रनाथ ठाकुर के महान व्यक्तित्व से प्रभावित कितने ही देशी और विदेशी विद्वान और प्रतिभासम्पन्न लोग वहाँ आते-जाते रहे।

रोज़ा के पति ज्यूला गेरमानूस इस्लामी धर्म और इतिहास के प्रोफेसर के पद पर शान्तिनिकेतन में तीन वर्ष (1929-1931) के अनुबन्ध पर आए थे। तब हिन्दुस्तान में स्वतन्त्रता आन्दोलन अपने चरम शिखर पर था। गांधी जी का नमक सत्याग्रह उस समय की प्रमुख घटना थी। पुस्तक की विषय-वस्तु प्रथम पृष्ठ से अन्तिम पृष्ठ तक शान्तिनिकेतन की पृष्ठभूमि में स्वतन्त्रता संग्राम के अग्निपर्व का भारत उपस्थिति है। इस पुस्तक की बदौलत रवीन्द्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी और शान्तिनिकेतन, हंगरी में सर्वमान्य परिचित नाम हैं। एक वस्तुनिष्ठ रोजनामचा के अलावा, पुस्तक रोचक यात्रा विवरण, समकालीन राजनीतिक उथल-पुथल, इतिहास, धर्म-दर्शन, समाज और रूमानी कथाओं का बेजोड़ समन्वय है। हमारे रीति-रिवाजों, अन्धविश्वासों और धार्मिक अनुष्ठानों को इस विदेशी महिला ने इतनी बारीकी से देखा कि, हैरानी होती है उनकी समझ-बूझ और पैठ पर।

प्रणय-गाथाओं के चलते भी यह डायरी एक धारावाहिक रूमानी उपन्यास सा लगे तो आश्चर्य नहीं। इस देश से विदा होने के समय वह इसी अलौकिक हिन्दुस्तान के लिए जहाज की रेलिंग पकड़कर फूट-फूटकर रो रही थी – ‘‘मेरा मन मेरे हिन्दुस्तान के लिए तरसने लगा, हिन्दुस्तान जो चमत्कारों का देश है।’’

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Paperback

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Publishing Year

2013

Pulisher

Language

Hindi

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