Aksharo Ke Aage

-13%

Aksharo Ke Aage

Aksharo Ke Aage

80.00 70.00

Out of stock

80.00 70.00

Author: Bhairavprasad Gupt

Availability: Out of stock

Pages: 254

Year: 2007

Binding: Hardbound

ISBN: 9788180311833

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

अक्षरों के आगे

‘अज्ञानवश अन्धविश्वास में फँसना एक बात है और ज्ञान होते हुए भी अन्धविश्वास का शिकार होना दूसरी बात है। अन्धविश्वास के कारण मनुष्य का आत्म- विश्वास क्षीण होता है, शक्ति तथा क्रियाशीलता में शिथिलता आती है, यहाँ तक कि वह एकदम निकम्मा तथा असमाजिक भी हो जाता है, जैसे लाखों साहू, सन्त, फ़क़ीर, आवारे, चोर, डाकू, हत्यारे, अन्य अपराधकर्मी आदि। सबसे गम्भीर बात तो यह है कि अन्धविश्वासों के कारण समाज के विकास में बड़ी रुकावटें आती हैं, आदमी की सामाजिक चेतना तक कुंठित हो जाती है, जिसके चलते आदमी समाज के विकास की नई दिशा में अथवा नए मार्ग पर चलने से इनकार कर देता है।… हमारी ज़‍िन्दगी ऐसी क्यों है, हम क्यों अंधविश्वासों, कुप्रथाओं से जकड़े हुए हैं, हम क्यों अपने अनुभवों से भी कुछ नहीं सीखते?’

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2007

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Aksharo Ke Aage”

You've just added this product to the cart: