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आनन्द वर्षा
‘आनन्द-वर्षा’ एक रहस्यवादी के निर्माण और आध्यात्मिक पथ पर उसके आश्चर्यजनक अनुभवों की कथा है। यह दो ऐसे पुरुषों की कहानी है जिनका चरित्र एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है, लेकिन एक निर्णायक मुलाकात के बाद जिनके बीच एक दुर्लभ सम्बन्ध विकसित होता है। बुजुर्ग माधवाचार्य जो सम्पूर्ण समर्पण और निर्द्वंद्व भक्ति-भाव में डूबा है, युवा गोपाल का गुरु बनता है, जबकि गोपाल का विकास पश्चिमी तर्कवाद और इस विश्वास के साथ हुआ है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता खुद है। गुरु अपने शिष्य का परिचय आत्मा से कराता है और इस प्रकार उसके भीतर एक निहायत ही निजी युद्ध की शुरुआत कर देता है-युद्ध जो भावना और विवेक तथा विश्वास और तर्क के बीच चलता है।
इस उपन्यास के विषय़ में ‘डेकन हेराल्ड’ का मत है : ‘‘(यह कथा) कई स्तरों पर चलती है। इसमें अनेक रहस्य व्याख्याएँ निहित हैं जो विचारोत्तेजक हैं, हमारे सामने कई उद्घाटन करती हैं और अन्ततः बहुत मानवीय हैं। यह हमें दैवीय के प्रति मनुष्य की चाह का संदेश देती है। दैवीय जो मनुष्य में ही निहित है।’’
अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक खुशवंत सिंह के अनुसार यह ‘अत्यन्त पठनीय’ पुस्तक है जिस पर ‘सभी गम्भीरचेता लोगों को ध्यान देना चाहिए।’
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2003 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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